भारत ने तय समय से पांच महीने पहले पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए 2025-26 तक इस आंकड़े को दोगुना करने का लक्ष्य है. गन्ने और अन्य कृषि जिंसों से निकाले गए एथेनॉल को पेट्रोल में 10 प्रतिशत मिलाने का लक्ष्य नवंबर, 2022 का था लेकिन इसे जून में ही हासिल कर लिया गया है.
इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का बड़ा योगदान रहा है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, “सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के प्रयासों के कारण 10 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य नवंबर, 2022 की लक्षित समयसीमा से बहुत पहले हासिल कर लिया गया है. मार्केटिंग कंपनियां देशभर में पेट्रोल में औसतन 10 प्रतिशत एथेनॉल मिला रही हैं (10 प्रतिशत एथनॉल, 90 प्रतिशत पेट्रोल.)”
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी
बयान के अनुसार, इसके फलस्वरूप 41,500 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है. साथ ही ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन में 27 लाख टन की कमी आई और किसानों को 40,600 करोड़ रुपये से अधिक का तत्काल भुगतान भी हुआ है. बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने, ईंधन के लिए आयात पर निर्भरता कम करने, विदेशी मुद्रा बचाने, पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने और घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है.
एथेनॉल का बड़ा उत्पादक भारत
भारत दुनिया में अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय संघ और चीन के बाद एथेनॉल का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है. दुनियाभर में एथेनॉल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर उपभोग के लिए किया जाता है, लेकिन ब्राजील और भारत जैसे देश इसे पेट्रोल में मिलाते हैं