हाल ही में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) की एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) में बड़ी कटौती की है. जिससे पेट्रोल और डीजल के दामों में बड़ी कमी आई है. सरकार के इस फैसले से न केवल आम लोग खुश हैं बल्कि व्यापारी वर्ग भी राहत की बात बता रहा है. हालांकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में आई कमी का असर बढ़ती महंगाई पर पड़ेगा या नहीं, बाजार में मिलने वाली चीजों की कीमतें घटेंगी या नहीं, ये हर आम आदमी का सवाल है. ऐसे में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ओर से इस छूट को लेकर बड़ी बात कही गई है.
केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के दामों में उत्पाद शुल्क को कम करने को महंगाई कम करने की दिशा में बड़ी राहत बताते हुए कैट ने कहा की इस छूट से अब अकेले रोज़मर्रा की वस्तुओं की क़ीमतों में कम से कम 10% की कमी होनी चाहिए. इसी प्रकार से अन्य वस्तुओं में लगने वाले उत्पाद शुल्क में कमी से भी चीजों की कीमतों में कमी हो सकती है क्योंकि उन चीज़ों को बनाने में जरूरी रॉ मैटीरीयल की माल ढुलाई की क़ीमत भी कम होगी जिसके कारण अन्य वस्तुओं के दामों में भी कमी आनी चाहिए. कैट ने यह भी कहा की केंद्र सरकार की तरह राज्यों को वैट की दरों में भी कमी करनी चाहिए. तभी जनता को महंगाई (Inflation) से अच्छी तरह से राहत मिल सकेगी.
आम लोगों को नहीं मिल पाता है ऐसी छूट का लाभ
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्र सरकार के इस कदम को प्रधानमंत्री मोदी की जनता के प्रति संवेदनशीलता बताते हुए कहा कि एक्साइज ड्यूटी या उत्पाद शुल्क में कमी सरकार की जनता को महंगाई से राहत देने की इच्छा को बताता है लेकिन इस दौरान बड़े निर्माताओं और उत्पादकों द्वारा अपने उत्पादों के दामों को कम किया जाए, यह सुनिशचित किया जाना बेहद ज़रूरी है. अक्सर देखा गया है कि इस प्रकार की कमी का लाभ देश के लोगों को नहीं मिल
पाता है.
चीजें 10 फीसदी होनी चाहिए सस्ती
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि देश में सभी सामानों की 80 फीसदी आवाजाही सड़क परिवहन के जरिए होती है जिसको पेट्रोल डीज़ल ही चलाता है. इस कड़ी में सबसे पहले किसी भी वस्तु को बनाने के लिए रॉ मैटिरियल की ढुलाई होती है और उसके बाद फ़ैक्टरी से उपभोक्ता तक कम से कम तीन बार सड़क परिवहन का उपयोग होता है. इस दौरान हर चरण में पेट्रोल डीज़ल की बड़ी खपत होती है. सरकार ने लगभग 10 फीसदी पेट्रोल पर और लगभग 8 फीसदी डीज़ल पर उत्पाद शुल्क में कमी की है. इस नाते एक मोटे अनुमान के अनुसार इस कमी के बाद सभी वस्तुओं के दामों में लगभग 10 फीसदी की ही कमी होनी चाहिए जिसका लाभ सीधे आम जनता यानि आखिरी उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए.
सरकार दे ध्यान, नहीं तो महंगाई में पिसते रहेंगे लोग
भरतिया और खंडेलवाल ने आगे कहा कि पहले ऐसा देखा गया है कि जब भी कभी सरकार करों में इस प्रकार की छूट देती है तो बड़े निर्माता इस छूट का लाभ अपने पास ही रखते हैं और कभी भी अपने सामान के दामों में कमी नहीं करते जबकि ठीक इसके विपरीत जब भी कभी सरकार किसी वस्तु पर शुल्क में वृद्धि करती है तब बड़े निर्माता दाम बढ़ाने में कोई देरी नहीं करते. दोनों व्यापारी नेताओं ने सरकार से आग्रह किया है लोगों को लाभ देने की सरकारी मंशा को पूरा करने के लिए बड़े निर्माताओं द्वारा अपनी वस्तुओं की क़ीमतों में कमी तुरंत की जाए, इस पर नज़र रखना ज़रूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग महंगाई में पिसते ही रहेंगे.
उन्होंने सुझाव देते हुआ कहा कि सरकार खासकर रोजमर्रा के सामान, खाद्य पदार्थ, तेल आदि बनाने वाले निर्माताओं को निर्देश दे कि पेट्रोल डीज़ल में उत्पाद शुल्क की छूट के पहले और बाद की वस्तुओं की क़ीमतों का तुलनात्मक चार्ट सार्वजनिक करे जिससे यह स्पष्ट पता लगे कि कीमतों में कमी की गई है या नहीं.