आरबीआई द्वारा बढ़ाई गई रेपो रेट के बाद बैंकों ने अपने लोन की दरें भी बढ़ा दी है. बैंकों ने अपने लोन की ब्याज दरों में 10 से 30 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है जिससे ग्राहकों पर बढ़ी हुई ईएमआई का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. ऐसे में कई ग्राहक अपना ऋणदाता बदलने पर विचार कर रहे हैं. लेकिन क्या यह सही कदम होगा.
विशेषज्ञों की राय में ये एक गलत फैसला हो सकता है. वित्तीय योजनाकार अमित सूरी कहते हैं कि ब्याज दरों में और बढ़ोतरी का अनुमान है और ज्यादा दिन नहीं लगेंगे जब सभी ऋणदाता अपनी ब्याज दरों को बढ़ा देंगे. बता दें कि एसबीआई ने 15 मई से अपने एमसीएलआर में 10 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की है. इसके अलावा सभी प्रमुख बैंक अपना कर्ज महंगा कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि ग्राहकों ऐसा कोई फैसला लेने से पहले कुछ दिन का इंतजार करना चाहिए. बकौल सूरी, ऋणदाता बदलने का फैसला तब सही लगता है जब आप ब्याज दर में कम से कम 40-50 बेसिस पॉइंट की बचत कर रहे हों.
बचे हुए समय पर भी विचार करें
MyMoneyMantra.com के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला कहते हैं कि अगर आपका लोन नया है और उसकी अवधि पूरी होने में 15-20 साल हैं तो आप 0.5 फीसदी कम ब्याज देकर भी अच्छी बचत कर सकते हैं. वह आगे कहते हैं कि अगर लोन पूरा होने में बस 1-2 साल ही बचे हैं तो फिर आपको स्विचिंग के दौरान लगने वाली अन्य लागतों की स्विचिंग से होने वाली बचत से तुलना करनी होगी. इसके अलावा आपको यह भी देखना चाहिए कि क्या नया लैंडर लोन जल्दी बंद करने के लिए प्रीपेमेंट शुल्क तो नहीं लेता.
वह कहते हैं कि किसी ग्राहको को कुछ फीसदी की बचत के लिए अपना ऋणदाता नहीं बदलना चाहिए, खासतौर पर तब जब वह एक बेहतर सेवा प्रदाता हो. उन्होंने कहा कि होम लोन आमतौर पर लंबे समय तक चलते हैं ऐसे में एक बेहतर सेवा प्रदाता बैंक या वित्तीय संस्थान बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए स्विचिंग से पहले ग्राहकों को नए वित्तीय संस्थान की सेवाओं का आकलन कर लेना चाहिए.