नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को नीति आयोग के एक कार्यक्रम में कहा कि देश में ड्रोन सर्विस तेजी से बढ़ रही है. लिहाजा भारत को आगामी वर्षों में करीब एक लाख ड्रोन पायलटों की जरूरत होगी. सिंधिया ने नीति आयोग के एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र सरकार के 12 मंत्रालय फिलहाल देश में ड्रोन सेवाओं की मांग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं.
सिंधिया ने कहा कि सरकार भी देश में ड्रोन सर्विस को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है. इसके लिए सरकार कई मोर्चों पर काम कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हम ड्रोन क्षेत्र को तीन ‘चक्कों’ पर या तीन फेज में आगे ले जाने कर प्रयास कर रहे हैं. इनमें पहला नीति है. आप देख रहे हैं कि हम कितनी तेजी से नीति का क्रियान्वयन कर रहे हैं.’’
पीएलआई योजना को अच्छा रिस्पॉन्स
उन्होंने कहा कि दूसरा पहिया या दूसरा फेज प्रोत्साहन है. उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना देश में ड्रोन विनिर्माण एवं सेवाओं को और आगे बढ़ाने में मदद करेगी. इस क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना सितंबर, 2021 में लाई गई थी. इस पीएलआई योजना को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. कई नई कंपनियां इस सेक्टर में काम करने में रूचि दिखा रहा हैं.
12वीं पास व्यक्ति को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण
सिंधिया ने कहा कि ड्रोन क्षेत्र की प्रगति का तीसरा चक्का घरेलू मांग पैदा करना है. केंद्र सरकार के 12 मंत्रालय ड्रोन सेवाओं के लिए मांग पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ 12वीं पास व्यक्ति को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण दिया जा सकता है. इसके लिए कॉलेज की डिग्री की जरूरत नहीं है.
रोजगार के मौके
उन्होंने कहा कि सिर्फ दो-तीन माह के प्रशिक्षण के बाद कोई व्यक्ति ड्रोन पायलट बन सकता है और मासिक 30,000 रुपये का वेतन पा सकता है. सिंधिया ने कहा, ‘‘हमें करीब एक लाख ड्रोन पायलटों की जरूरत होगी. ऐसे में इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं.’’ लिहाजा इस सेक्टर में रोजगार भी पैदा होगा. मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ सर्विस सेक्टर में रोजगार पैदा होगा.