कराची यूनिवर्सिटी में एक भयानक आत्मघाती विस्फोट हुआ. निशाने पर चाइनीज नागरिक. कम से कम 11 चीनी मारे गए. आत्मघाती बम के तौर पर इस्तेमाल होने वाली एक पढ़ी लिखी महिला थी. जो बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की सदस्य थी. बाद इस संगठन ने इस वारदात की जिम्मेदारी भी ले ली. दरअसल बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तान से अलग होने का आंदोलन चल रहा है लेकिन तब चीनी लोग इस संगठन के निशाने पर आ गए जब उन्होंने बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पाकिस्तान सरकार से अनुमति के बाद शुरू कर दिया.
बलूचिस्तान आकार के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन बंजर पहाड़ी इलाका होने की वजह से आबादी के हिसाब से देश का सबसे छोटा राज्य है. जब भारत दो टुकड़ों में बंटा, तब भी बलोच लोगों ने अपने लिए अलग देश की मांग की थी लेकिन तब उनकी बात नहीं सुनी गई. कहा जा सकता है कि बलूचिस्तान अपनी आजादी के लिए 70 सालों से ज्यादा समय से उबल रहा है.
जबसे चीन ने इस प्रांत पर नजरें गड़ाकर इस इलाके के संसाधनों का अनुचित रूप से दोहन शुरू किया. तब से वो भी निशाने पर आ गया. कहा जाता है कि बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों के लिए प्रचुर तौर पर धनी है. यहां पाकिस्तान की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस फील्ड है. सोने जैसी कीमती धातुओं की खान है. हाल के सालों में यहां से सोने के अयस्कों का उत्पादन खूब बढ़ा है. कुल मिलाकर पाकिस्तान का ये ऐसा राज्य है, जहां खूब खनिज संपदा है.
बलूचिस्तान की सीमा उत्तर में अफगानिस्तान से और पश्चिम में ईरान से सटी हुई है. इसकी एक लंबी तटरेखा भी है जो अरब सागर से सटी हुई है. बलूचिस्तान के लोग उनके इलाके से इन संसाधनों को निकालने का विरोध करते हैं. पहले तो उनका विरोध पाकिस्तान से था लेकिन जबसे पाकिस्तान ने चीन को कुछ खनिजों के दोहन की अनुमति दी है, तब से यहां काम करने वाले चीनी उनके निशाने पर हैं. बलूचिस्तान में चीन की मुख्य परियोजनाओं में शामिल है ग्वादर का बंदरगाह. होर्मुज जलसंधि के पास स्थित यह बंदरगाह सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. होर्मुज जलसंधि अरब सागर में तेल की आवाजाही एक बेहद महत्वपूर्ण मार्ग है.