भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की जरूरत है. CJI ने कहा कि एक केस के निपटारे में लंबा समय लग जाता है, ऐसे में जरूरत इस बात की है कि कोर्ट की संख्या बढ़ाई जाए. उन्होंने ये बातें हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने ये भी कहा कि हमारी न्यायपालिका पर बोझ काफी ज्यादा बढ़ गया है.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा, ‘मैं दो मुद्दे उठाना चाहता हूं जो बहुत जरूरी है. पहला- न्यायपालिका का इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरा कोर्ट में खाली पदों को भरना. इसके पीछे वजह ये है कि लोगों को न्याय तभी मिलेगा जब हम लोगों को पर्याप्त संख्या में कोर्ट उपलब्ध कराएंगे. जिससे कि लोग न्याय के लिए हमारे पास आएंगे.’
एनवी रमण ने आगे कहा कि हमारी न्यायपालिका पर काफी ज्यादा बोझ है. उन्होंने कहा. ‘मैं आंकड़ों में नहीं जाना चाहता. लेकिन सच्चाई ये है कि लोगों को लगता है कि कोर्ट मे जाने के बाद उन्हें न्याय के लिए सालों का समय लग जाएगा. इसलिए हमें जल्द से जल्द न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने की जरूरत है.’
पिछले दिनों प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा था कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं, ये अवधारणा गलत है और नियुक्ति लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है जहां कई हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाता है. उन्होंने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले जनता के विश्वास को बनाये रखने के मकसद से होते हैं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि चयन की प्रक्रिया आज से ज्यादा लोकतांत्रिक नहीं हो सकती. उन्होंने यहां एक समारोह में कहा, ‘‘इस तरह की धारणा है कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं. यह गलत धारणा है और मैं इसे सही करना चाहता हूं. नियुक्ति एक लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है.’