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महंगी गैस से उज्‍ज्‍वला योजना का भविष्‍य अंधकार में, लाभार्थी नहीं भरा पा रहे गैस सिलेंडर

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रसोई गैस महंगी होने से केंद्र सरकार की उज्‍ज्‍वला योजना (Ujjwala Yojana) की सफलता पर ही सवालिया निशान लग गया है. देशभर से ऐसी खबरें आ रही हैं कि उज्‍ज्‍वला योजना के लाभार्थियों ने घरेलू गैस के दाम बढ़ने से सिलेंडर भरवाना ही बंद कर दिया है. ग्रामीण इलाकों में तो इन लाभार्थियों ने फिर से परंपरागत ईंधन से खाना बनाना शुरू कर दिया है.

झारखंड के पलामू जिले के बिसरामपुर ब्‍लॉक में प्रधानमंत्री उज्‍ज्‍वला योजना के 13,000 लाभार्थी हैं. लेकिन, अब इनमें से अधिकतर ने इस योजना में मिले गैस सिलेंडर भरवाना बंद कर दिया है. इसका कारण गैस के दामों में हुई भारी बढ़ोतरी है. फिलहाल बिसरामपुर में घरेलू गैस सिलेंडर का दाम 1007 रुपये है.

महंगी गैस से परेशान
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एचपी गैस के डीलर दयाशंकर दूबे का कहना है कि लोगों के गैस सिलेंडर बंद करवाने से उनके लिए अपना कारोबार जारी रखना मुश्किल हो गया है. उनके लिए कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है. दूबे का कहना है कि बहुत से लोगों ने अपने गैस सिलेंडर और गैस के चूल्‍हे बेच भी दिए हैं. काड़ार गांव की उज्‍ज्‍वला लाभार्थी संगीता देवी का कहना है कि गैस के दाम अब इतने बढ़ गए हैं कि गैस सिलेंडर रिफिल कराना, उनके बूते की बात नहीं है.

शहरों में हालात अच्‍छे नहीं
पलामू जिले में उज्‍ज्‍वला योजना के तहत 2,20,234 लोगों को 2020 तक गैस सिलेंडर दिए गए थे. साल 2020 और 2021 में इस योजना के तहत जिले में कोई नया रजिस्‍ट्रेशन नहीं किया गया था. गांवों के साथ ही शहरों में भी इस उज्‍जवला योजना की हालत अच्‍छी नहीं है. शहरी क्षेत्र में एलपीजी सिलेंडर वितरण के कार्य में लगे अवध कुमार पांडे का कहना है कि उनके पास 400 उज्‍ज्‍वला योजना के लाभार्थी हैं, परंतु उनमें से अब कोई गैस सिलेंडर नहीं भरवा रहा.

अवध कुमार का कहना है कि इनमें से बहुत से लोगों ने तो अपने सिलेंडर और गैस चूल्‍हे बेच भी दिए हैं. वहीं, हजारीबाग में भी उज्‍ज्‍वला योजना के लाभार्थियों ने अब कोयले से दोबारा खाना बनाना शुरू कर दिया है. एचपी गैस एजेंसी के संचालक आलोक बिहारी दीक्षित का कहना है कि उनके पास 6300 उज्‍ज्‍वला गैस कनेक्‍शन हैं. अब उनमें से 40 फीसदी ने गैस भरवाना छोड़ दिया है.

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