कुछ समय शांत रहने के बाद कोरोना वायरस फिर से सिर उठाने लगा है. कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों का सीधा-सीधा असर स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमतों पर देखने को मिल सकता है. कोरोना संक्रमण के चलते चीन के कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाया गया है. चीन के टेक हब शेनझेन (China’s Shenzhen) क्षेत्र में कोरोना वायरस के मामलों में ताजा उछाल के बाद लॉकडाउन से टीवी, लैपटॉप और स्मार्टफोन की कीमतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह क्षेत्र दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों (electronics products) के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है.
इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (International Data Corporation- IDC) के शोध निदेशक नवकेंद्र सिंह के मुताबिक, भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आपूर्ति का लगभग 20 से 50 फीसदी तक चीन के शेनझेन से आता है. उन्होंने कहा कि अगर कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन जैसे हालात फिर से पैदा होते हैं तो निश्चित रूप से इसका असर तमाम तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों पर देखने को मिलेगा. उत्पादों की लागत बढ़ रही है और बढ़ती कीमतों का बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
नवकेंद्र सिंह ने कहा कि अगर शेनझेन शहर में लॉकडाउन तीन सप्ताह या उससे अधिक के पार जाता है, तो यह जून तिमाही के साथ-साथ सितंबर तिमाही में स्मार्टफोन और पर्सनल कंप्यूटर के शिपमेंट को प्रभावित करेगा.
लॉकडाउन का असर
काउंटरपॉइंट रिसर्च (Counterpoint Research) के शोध निदेशक तरुण पाठक ने कहा है कि अगर लॉकडाउन 20 मार्च से आगे बढ़ता है तो कीमतें बढ़ना शुरू हो जाएंगी. स्मार्टफोन की कीमतें 5-7 फीसदी तक बढ़ सकती हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि उत्पादों की कीमत और माल ढुलाई दरें पिछले एक साल में बढ़ी हैं, जिसका अर्थ है कि अधिकांश ब्रांड नई लागत के दबाव को सहन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं और वे इस प्रेशर को उपभोक्ताओं के ऊपर डाल देंगे. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण अधिक बढ़ता है तो इसका असर उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा. क्योंकि कंपनियां पहले से ही बढ़ती महंगाई के प्रेशर में हैं.
महंगा हो सकता है सामान
ग्रेहाउंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषक संचित वीर गोगिया के अनुसार, कीमतों के असर का दायरा इस बात पर निर्भर करेगा कि लॉकडाउन कितने समय तक चलता है. उन्होंने कहा कि अगर आने वाली तिमाही तक यह समस्या हल हो जाती है तो लगभग 10-15% की वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है. विश्लेषकों का कहना है कि Apple को छोड़कर अधिकांश स्मार्टफोन ब्रांड 2-3% के मामूली मुनाफे पर काम करते हैं.