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भारत पर प्रतिबंध के मामले में अपने ही देश में घिरा अमेरिका, US सीनेटर ने बताया मूर्खतापूर्ण कदम

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भारत पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास में अमेरिका (America) खुद अपने ही देश में घिरता हुआ नजर आ रहा है. अमेरिका के एक सीनेटर ने कहा है कि यदि अमेरिका भारत (India) पर रूसी हथियार खरीदने के कारण कोई प्रतिबंध लगाता है तो यह बाइडेन प्रशासन (Biden administration) के लिए मूर्खतापूर्ण (Foolhardy) कदम होगा. अमेरिकी सीनेटर टेड क्रूज (Senator Ted Cruz) ने कहा है कि भारत इस धरती का सबसे बड़ा लोकतंत्र (largest democracy on Earth) है और दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण साझीदार है. उन्होंने कहा कि अगर काटसा (CAATSA) कानून के तहत बाइडेन प्रशासन नई दिल्ली पर प्रतिबंध लगाता है तो यह दूर्भाग्यपूर्ण कदम होगा. भारत रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली (S-400 missile defence system) खरीद रहा है जिससे अमेरिका नाराज है.

दरअसल, काटसा एक अमेरिकी कानून है जिसके तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को दुश्मन देश रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ रक्षा सामग्री खरीदने वाले देशों पर कड़े आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगाने का अधिकार है.

भारत के खिलाफ काटसा का इस्तेमाल उचित नहीं
रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज ने बाइडेन प्रशासन से कहा, भारत अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है और यदि रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए उस पर CAATSA कानून लगाया जाता है तो असाधारण रूप से मूर्खतापूर्ण कदम होगा. उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि बाइडेन प्रशासन भारत के खिलाफ काटसा कानून का इस्तेमाल करने वाला है. अगर ऐसा होता है तो मेरे विचार में धरती पर सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ यह मूर्खतापूर्ण कदम होगा. क्रूज अमेरिकी विदेश मामलों से संबंधित एक कमिटी में बोल रहे थे.

बाइडेन भारत के साथ संबंधों को पीछे ले जा रहा है
सीनेटर क्रूज अमेरिकी के टेक्सास का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह से बाइडेन प्रशासन में भारत के साथ संबंध सबसे निचले स्तर पर आ चुका है. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में भारत हमारा महत्वपूर्ण सहयोगी है. पिछले कुछ सालों में भारत अमेरिका संबंध बहुत व्यापक हुआ है. लेकिन बाइडेन प्रशासन में यह पीछे की ओर मुड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन मामलों पर संयुक्त राष्ट्र संघ में हमारे खिलाफ वोट करने वाला अकेला देश नहीं है. दरअसल, यूएन में रूसी हमले की निंदा करने के लिए हुए वोटिंग में भारत ने भाग लिया था. 141 देशों में 35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था जिनमें भारत भी शामिल था.

क्या है काटसा कानून
रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ रक्षा या अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में समझौता करने वाले देशों के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई करने के लिए CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) कानून बनाया गया है. को अधिनियमित करने का उद्देश्य ही रूस के रक्षा क्षेत्र के साथ व्यापारिक लेन-देन में संलग्न संगठनों और व्यक्ति विशिष्ट पर प्रतिबंध लागू करके रूस को दंडित करना था. इनमें से पहला प्रतिबंध बैंकिंग लेन-देन के निषेध से संबंधित है.

भारत पर क्या असर होगा
अगर काटसा कानून को भारत पर लागू किया जाता है तो भारत को अमेरिका में व्यापार करने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि इस स्थिति में डॉल का भुगतान रोका जा सकता है. वहीं भारत में निर्यात होने वाली वस्तुओं पर भी असर पड़ सकता है. इस कानून के तहत उपयुक्त देश के सैन्य और खुफिया क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है. इसके अलावा अमेरिका परमाणु संबंधी वस्तुओं के निर्यात पर भी रोक लगा सकता है.

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