रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) ने दुनियाभर की सप्लाई पर संकट पैदा कर दिया है. सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल की सप्लाई पर हो रहा, जिससे ब्रेंट क्रूड (Brent crude) की कीमतें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं.
रूस की ओर से ब्रेंट क्रूड (Brent crude) की सप्लाई प्रभावित होने से सोमवार को कीमतों में बड़ा उछाल आया और 139.13 डॉलर प्रति बैरल के भाव पहुंच गईं. यह 2008 के बाद ब्रेंट क्रूड का सबसे ऊंचा भाव है. पिछले साल के मुकाबले कच्चा तेल अभी 128 फीसदी की उछाल के साथ ट्रेडिंग कर रहा है. अमेरिकी कच्चा तेल WTI भी 130.50 डॉलर प्रति बैरल के भाव पहुंच गया.
ऑल टाइम हाई से बस 10 कदम पीछे
क्रूड की कीमतें अपने ऑल टाइम हाई से महज 10 कदम यानी 10 डॉलर पीछे हैं. जुलाई, 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर प्रति बैरल के साथ ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था. इतना ही नहीं तब WTI भी 147.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था. 2008 की मंदी ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को हिला दिया था. अमेरिकी बाजार पर गहरा असर होने से कच्चे तेल की कीमतों पर भी बड़ा प्रभाव दिखा था.
अभी 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है भाव
बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) के चीफ इकोनॉमिस्ट ईथन हैरिस का कहना है कि रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद उसकी ओर से मिलने वाले कच्चे तेल की सप्लाई बंद हो जाएगी. अगर रूस आ रहा 50 लाख बैरल प्रतिदिन का कच्चा तेल मिलना बंद हो जाता है, तो क्रूड की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल के भाव को भी पार कर जाएंगी. इससे दुनियाभर में आर्थिक प्रगति पर गहरा असर पड़ेगा.
क्यों आई कीमतों में अचानक तेजी
क्रूड की कीमतों में अचानक आई तेजी की वजह Russia-Ukraine War के बाद लगने वाले प्रतिबंध हैं. अमेरिका ने कहा है कि वह यूरोपीय यूनियन के साथ रूस के तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है. इसे लेकर दोनों के बीच बातचीत भी चल रही है. इसके अलावा ईरान से तेल आयात पर लगे प्रतिबंध हटाने को लेकर भी बातचीत अभी शुरू नहीं हो सकी है, जिससे ग्लोबल मार्केट में सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हो रही. फेड रिजर्व ने भी अगले कुछ दिनों में ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत दिया है, जिसका सीधा मतलब है कि डॉलर में मजबूती आएगी जिससे क्रूड और महंगा हो जाएगा.