तमिलनाडु की एमके स्टालिन (MK Stalin Govt) सरकार ने राज्य पुलिस बल को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन किया है और LGBTQIA (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल) लोगों के पुलिस द्वारा उत्पीड़न पर प्रतिबंध लगाने वाला एक प्रावधान जोड़ा है. इस तरह तमिलनाडु के एक विशिष्ट कानून बनाने वाला भारत का पहला राज्य बनने की संभावना है, जहां हाशिए के समाज को पुलिस हिंसा से बचाने का कानूनी प्रावधान मौजूद हो. तमिलनाडु अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के आचरण नियमों में संशोधन बुधवार को सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया गया. दरअसल कुछ महीने पहले मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य प्रशासन से LGBTQIA मुद्दों के बारे में पुलिस बल को संवेदनशील बनाने के लिए कहा था.
राज्य सरकार की ओर से जारी इस आदेश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके प्रभाकर ने हस्ताक्षर किया है, जिसमें कहा गया है कि ‘कोई भी पुलिस अधिकारी LGBTQIA समुदाय (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल) के किसी भी प्रकार के उत्पीड़न में शामिल नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही इस कम्युनिटी के हित में काम कर रहे किसी भी व्यक्ति के उत्पीड़न में भी शामिल नहीं होना चाहिए.’