किसानों की जमीनों की नीलामी होने से सरकार की हुई किरकिरी से दबाव में आई राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने अब ऐसे किसानों को कर्जमाफी (Farm loan waiver) देने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है, जिन्होंने राष्ट्रीय बैंकों से ऋण लिया है और वे डिफाल्टर हो चुके हैं. राजस्थान सरकार सहकारी बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए कर्ज को पहले ही माफ कर चुकी है.
गौरतलब है कि इस बार राजस्थान सरकार खेती के लिए अलग से कृषि बजट (Rajasthan Agriculture Budget) भी पेश करेगी. कृषि बजट की घोषणा पिछले बजट में की गई थी. पिछले महीने ही एक राष्ट्रीयकृत बैंक का लोन न चुका पाने के कारण दौसा के किसान की जमीन नीलाम करने के बाद देश भर में यह मामला चर्चा का मुद्दा बन गया था. किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) दौसा पहुंच गए थे. बीजेपी भी सरकार को किसान कर्जमाफी को लेकर घेर रही है. विवाद के बाद राज्य सरकार ने रामगढ़ पंचावारा के किसान की जमीन नीलामी कल ही रोक दी थी और राजस्थान सरकार ने प्रदेशभर में किसानों की जमीन की नीलामी पर रोक लगा दी थी.
कर्जमाफी पर मंथन जारी
सहकारी क्षेत्रों के कर्जदार किसानों (Indebted Farmers) की कर्जमाफी के बाद अब कमर्शियल बैंकों के ऋणी किसानों का लोन माफ करने पर मंथन शुरू कर दिया है. सरकार की तरफ से बैंकों से सामंजस्य स्थापित करने वाले आयोजना विभाग ने कमर्शियल बैंकों के कर्जदार किसानों की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट वित्त विभाग को सौंप दी है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह कर्जमाफी करीब 2.5 हजार करोड़ रुपए तक की हो सकती है. गौरतलब है कि राजस्थान सरकार द्वारा किसानों की जमीन नीलामी पर रोक लगाने से आदेश देने से पहले तक राजस्थान में 1 लाख 11 हजार 727 किसानों के खिलाफ जमीन कुर्की की कार्रवाई चल रही थी. इनमें से 9 हजार को नोटिस भी दे दिए गए थे.
3 लाख किसानों का 6 हजार करोड़ NPA
एक अनुमान के मुताबिक, राजस्थान में करीब 3 लाख से अधिक किसानों का 6,018 करोड़ रुपये से अधिक का लोन एनपीए (NPA) है. इनमें से करीब 2.5 से 3 हजार करोड़ का लोन नीलामी के दायरे में है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि फिलहाल इस 3 हजार के करीब लोन को माफ करने की योजना पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, अभी लोन माफी योजना पर विचार शुरुआती चरण में है, इसका दायरा बढ़ने से भी इनकार नहीं किया जा सकता. पहले भी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऑफर दिया था कि एनपीए हो चुके लोन का 10% सरकार चुकाएगी, 90% बैंक माफ करें. लेकिन बैंकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.