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बैंकिंग घोटाले में सीबीआई ने ली आरोपियों के बैंक खातों की जानकारी, विभागों की लापरवाही आई सामने

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देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड घोटाले में सरकारी जांच एजेंसियों समेत अनेक विभागों की गंभीर लापरवाही सामने आई है. सीबीआई ने इस मामले में 2 वर्ष तक केस नहीं दर्ज किया वही बैंकों ने इस लोन के लिए अपने किसी भी अधिकारी जिम्मेदार नहीं ठहराया है. जबकि सरकार की एक जांच एजेंसी 2 साल पहले एबीजी ग्रुप को गलत तरीके से 1080 करोड़ रुपए का लोन लेने के मामले में आरोपी बता चुकी थी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने एबीजी ग्रुप से संबंधित कंपनी की 950 करोड रुपए की सीमेंट कंपनी अटैच भी की थी.

देश का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड घोटाला सामने आया है 22842 करोड़ रुपए के इस महा घोटाले के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी शिकायत गुजरात की एबीजी शिपयार्ड कंपनी और उसकी सहयोगी कंपनियों को आरोपी बताया है. ध्यान देने वाली बात ये है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा सीबीआई को दी गई उस शिकायत को जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि इस बाबत 2019 से ही सीबीआई को सूचना दी जाती रही है लेकिन सीबीआई ने 2022 जनवरी तक कोई मुकदमा दर्ज ही नहीं किया. 

सीबीआई ने अपनी इस लापरवाही पर कोई भी अधिकारी बयान देने से इंकर कर दिया. लेकिन सीबीआई के एक आला अधिकारी ने ऑफ रिकॉर्ड कहा कि केवल शिकायत पत्र देने से ही बैंकों का काम खत्म नहीं हो जाता है उन्हें अपने यहां फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट आदि करानी होती है और उसके आधार पर बताना होता है कि वास्तव में फ्रॉड हुआ है या नहीं और इसके लिए बैंक की लापरवाही कहां कहां है.

दिलचस्प यह है कि 28 बैंकों के समूह ने अपने यहां 22 हजार करोड़ से ज्यादा घोटाले की शिकायत तो की है लेकिन इसके लिए उनके कौन से अधिकारी या कर्मचारी जिम्मेदार हैं इस बारे में किसी का कोई नाम जांच एजेंसी को नहीं दिया है. आम आदमी को तो लोन देने में बैंक के इतने सवाल और कागजी प्रक्रिया ही होती हैं की आम आदमी के लोन लेने में छक्के छूट जाते हैं जबकि हजारों करोड़ रुपए का लोन तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर जारी कर दिया जाता है और बैंक उस समय भूल जाता है कि आप ऐसा भी उसी आम आदमी का है जिसे उसने लोन नहीं दिया और संभवत यह पैसा कभी भी पूरा लौट कर नहीं आता है.

13 जगहों पर छापेमारी की गई थी

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक 22 हजार करोड़ रुपए के इस घोटाले में मुकदमा दर्ज करने के बाद 13 जगहों पर छापेमारी की गई थी इस छापेमारी के दौरान इस समूह की संपत्ति कहां-कहां है यह पता लगाया गया है इस समूह के तमाम बैंकों की जानकारी और उन्होंने पैसा कहां-कहां भेजा है इस बाबत जानकारी ली गई है साथ ही छापेमारी के दौरान अनेक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और आपत्तिजनक दस्तावेज भी जप्त किए गए हैं. सीबीआई के मुताबिक किया छापेमारी शनिवार देर रात समाप्त हो चुकी है सीबीआई का यह भी दावा है कि इस मामले में कोई भी आरोपी अभी देश छोड़कर बाहर नहीं गया है.

रिपोर्ट में एबीजी ग्रुप का जिक्र

सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस आई आई एलएफएस घोटाले से संबंधित अपनी एक रिपोर्ट में एबीजी ग्रुप का जिक्र भी किया था रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इस ग्रुप को 1080 करोड़ रुपए का लोन तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख कर दिया गया था प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में एबीजी ग्रुप पर छापेमारी भी की थी और उसकी वदराज सीमेंट नामक कंपनी को अटैच भी किया था जिसकी कीमत 950 करोड रुपए बताई जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब देश की एक जांच एजेंसी इस ग्रुप को गलत तरीके से लोन लेने के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है तो आखिर सीबीआई को 2 सालों के दौरान गलती क्यों नजर नहीं आई.

बैंकों के अनेक अफसर जांच दायरे में शामिल

फिलहाल सीबीआई की इस मामले में अब जांच शुरू हो गई है और आने वाले दिनों में अनेक बैंकों के अनेक अफसर जांच दायरे में शामिल होंगे और उनमें से अनेक की गिरफ्तारी भी हो सकती है. साथ ही इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय समय अनेक जांच एजेंसियां भी अपने यहां मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर सकती हैं.

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