डॉक्टर अपने पेशे में कदम रखते ही एक शपथ लिया करते हैं. दुनियाभर के डॉक्टरों के लिए यह समान है. दशकों से यही शपथ लेकर डॉक्टर अपनी पढ़ाई और फिर उसके साथ, उसके बाद काम (Medical Profession) शुरू करते हैं. लेकिन भारत में यह शपथ बदली जा सकती है. कारण कि इसे ‘ढोंगी शपथ’ (Hippocratic Oath) माना गया है. लिहाजा इस बदलाव की शुरुआत अभी 14 फरवरी से ही हो सकती है. देश में मेडिकल कॉलेजों का नया शिक्षा सत्र इस तारीख से शुरू हो रहा है.
उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के अंडरग्रेजुएट बोर्ड की बीते हफ्ते अहम बैठक हुई है. इसमें विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. इसमें यह तय किया गया है कि नए मेडिकल स्टूडेंट्स को अब ‘चरक-शपथ’ (Charak-Oath) दिलाई जाएगी. सभी नए बन रहे डॉक्टर हिंदी, अंग्रेजी तथा विभिन्न क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में भी यह शपथ ले सकेंगे. यानी अंग्रेजी की अनिवार्यता नहीं होगी.
एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘आधुनिक चिकित्सा पद्धति का इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना नहीं है. जबकि भारतीय चिकित्सा पद्धति इससे कहीं अधिक प्राचीन है तो फिर भारतीय चिकित्सक किसी ग्रीक डॉक्टर के नाम पर शपथ क्यों लें. हमारे लिए यह गर्व का विषय होना चाहिए कि देश के डॉक्टर अब महर्षि चरक के नाम पर शपथ लेंगे.’ बेंगलुरू सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर जॉर्ज डिसूजा भी इस बदलाव की पुष्टि करते हैं. हालांकि वे यह भी बताते हैं कि अब तक नई शपथ की लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है.
पहले क्या थी और अब क्या होगी शपथ
डॉक्टर अब तक जो शपथ लेते थे, उसकी उत्पत्ति कभी ग्रीस (Greece) से हुई थी, ऐसा बताया जाता है. इसके बाद से पूरी दुनिया में यह प्रचलित हो गई. इसमें डॉक्टर शपथ लेते हैं कि वे अपनी ‘गरिमा और चेतना के अनुरूप मरीज के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे. उसकी निजता का सम्मान करेंगे.’ जबकि ‘चरक-शपथ’ में अब उन्हें वचन देना होगा कि वे, ‘अपनी पूरी योग्यता के साथ सही निर्णय लेते हुए मरीज का उपचार (Treatment) करेंगे. मरीज का परीक्षण करते समय भी वे इलाज (Cure) पर ध्यान केंद्रित करेंगे. मरीजों और उनके परिवारों की निजता (Privacy) को कायम रखेंगे.’ यह नई शपथ महर्षि चरक (Maharishi Charak) की लिखी पुस्तक ‘चरक-संहिता’ (Charak Samhita) से ली गई है. महर्षि चरक (Maharishi Charak) दुनिया में सबसे प्राचीन कही जाने वाली आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के शीर्ष विशेषज्ञ माने जाते हैं.
और भी होने वाले हैं बदलाव
सूत्रों के मुताबिक, नए शिक्षा सत्र से मेडिकल स्टूडेंट्स (Medical Students) कुछ और बदलाव भी देखेंगे. जैसे- उन्हें योग प्रशिक्षण से भी गुजरना होगा. शुरुआत में 10 दिनों का सत्र होगा. इसके लिए रोज 1 घंटे का समय रहेगा.