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एनपीएस सब्‍सक्राइबर्स को टैक्स में मिल सकती है बड़ी छूट! फंड पर आपको पूरा अधिकार दे सकती है सरकार

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केंद्र सरकार बजट 2022 में तीन साल की लॉकइन पीरियड वाली एफडी पर टैक्स छूट देने के साथ एनपीएस सब्सक्राइबर्स (NPS Subscribers) को भी बड़ी राहत दे सकती है. बजट में ईपीएफ (EPF) और पीपीएफ (PPF) की तरह एनपीएस सब्सक्राइबर्स को मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि को टैक्स के दायरे (Tax Exemption) से बाहर किया जा सकता है. साथ ही उन्हें इन पैसों को अपने हिसाब से खर्च करने की आजादी दी जा सकती है.

निवेश सलाहकार (Investment Advisor) बलवंत जैन का कहना है कि इस बजट में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से संबंधित टैक्स प्रावधानों में कुछ विसंगतियों और असमानताओं को दूर करने पर जोर होना चाहिए. इससे एनपीएस को सभी के लिए उचित और बेहतर बनाया जा सकेगा. सब्सक्राइबर्स का भी अपनी मेहनत की कमाई पर पूरा अधिकार मिलेगा.

एन्युटी पर खर्च करना पड़ता है 40 फीसदी हिस्सा
एनपीएस और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) जैसी योजनाएं नौकरीपेशा के लिए हैं. सार्वजनिक भविष्य निधि के तहत लोग रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund) बनाते हैं. ईपीएफ और पीपीएफ की मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि टैक्स मुक्त होती है. एनपीएस सब्सक्राइबर्स को मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि का 40 फीसदी हिस्सा जीवन बीमा कंपनी से एन्‍युटी (Annuity) खरीदने में लगाना पड़ता है. उनके हाथ में सिर्फ 60 फीसदी पैसा ही आता है, जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता है.

ईपीएफ और पीपीएफ की तरह मिले टैक्स छूट
बलवंत जैन का कहना है कि केवल एनपीएस सब्सक्राइबर्स को एन्युटी खरीदने के लिए मजबूर करना अनुचित है, जबकि ईपीएफ और पीपीएफ सब्सक्राइबर्स को अपने हिसाब से अपना पैसा खर्च करने की आजादी है. ऐसे में सरकार को तीनों योजनाओं यानी ईपीएफ और पीपीएफ की तरह एनपीएस की मैच्योरिटी पर मिलने वाली आय पर टैक्स में सुधार करना चाहिए. इससे पहले ईपीएफ के तहत मैच्योरिटी आय के हिस्से पर टैक्स लगाने के सरकार के प्रयास का बहुत विरोध किया गया था. आखिरकार इसे वर्ष 2016 के बजट में वापस ले लिया गया था. अब तीनों योजनाओं के टैक्सेशन को एक समान बनाने का तरीका एनपीएस की मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम को पूरी तरह टैक्स के दायरे से बाहर करना है.

फंड के इस्तेमाल की मिले आजादी
दरअसल, एक इंडस्ट्री के रूप में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के विकास, बाजार नियामक सेबी (SEBI) के सख्त नियमों और निगरानी के साथ म्यूचुअल फंड निवेश अपेक्षाकृत सुरक्षित हो गया है. सरकार को एनपीएस सब्सक्राइबर्स को मैच्योरिटी राशि को अपनी पसंद के उत्पादों में निवेश करने की पूर्ण स्वतंत्रता देनी चाहिए. इसमें धन की पूरी निकासी पर प्रतिबंध भी शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरे फंड पर जोखिम न हो. यह ईपीएफ सब्सक्राइबर्स पर भी लागू होना चाहिए.

सबको मिले टियर-2 खातों पर 80C का लाभ
निवेश सलाहकार स्वीटी मनोज जैन बताती हैं कि इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 80C के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने टियर-2 एनपीएस खाते में तीन साल के लॉकइन पीरियड वाले योगदान के लिए 80C के तहत टैक्स छूट का दावा करने के पात्र हैं. यह लाभ सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ही क्यों दिया जाता है, सभी टैक्सपेयर को नहीं दिया जाता है. सभी एनपीएस सब्सक्राइबर्स को एनपीएस टियर-2 खाते में किए गए योगदान के लिए टैक्स बेनेफिट की अनुमति दी जानी चाहिए. विशेष रूप से जब टियर-2 खाता आपको ईएलएसएस (ELSS) के मुकाबले कम जोखिम वाला उत्पाद देता है, उसी अवधि के अन्य उत्पादों के मुकाबले.

योगदान पर एकसमान मिले टैक्स बेनेफिट
पात्र वेतन में नियोक्ता के 14 फीसदी तक के योगदान के संबंध में केंद्र सरकार के कर्मचारी धारा 80 सीसीडी (2) के तहत कर कटौती के पात्र हैं, जबकि अन्य श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह वेतन के 10 फीसदी पर सीमित है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को इस तरह अनुचित लाभ देने का कोई मतलब नहीं है. सभी कर्मचारियों के लिए इसे समान बनाना चाहिए. नियोक्ता के योगदान के लिहाज से अन्य कर्मचारियों के लिए लिमिट को भी 14 फीसदी तक बढ़ाया जाना चाहिए.

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