तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कुन्नूर में बुधवार को वायु सेना (Air Force) का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त (Helicopter Crash) हो गया. इस हेलीकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत (Bipin Rawat)और उनकी पत्नी समेत सेना के कई अन्य अधिकारी भी मौजूद थे. बताया जा रहा है कि हेलिकॉप्टर में 14 लोग सवार थे, जिसमें से चार शवों को बरामद कर लिया गया है. बता दें कि आजादी के बाद से अब तक कामर्शियल विमान हादसों में कुल 2,173 लोगों की जान जा चुकी है. यही नहीं इन हादसों में से 80 फीसदी मौतों में पायलट की गलती बड़ी वजह बनकर सामने आई है. इसमें पायलट के एक्शन और फैसले दोनों ही शामिल हो सकते हैं. ये आंकड़ा एविएशन सेफ्टी नेटवर्क की ओर से जारी आंकड़ों की मदद से बनाया गया है.
बता दें एविएशन सेफ्टी नेटवर्क एक निजी कंपनी है जो हवाई हादसों, विमानों के अपहरण या हाइजैक जैसी घटनाओं पर नजर रखती है. एविएशन सेफ्टी नेटवर्क के विश्लेषण में सिर्फ पैसेंजर उड़ानों और उन हादसों को लिया गया है, जिसमें कम से कम एक यात्री या एक पायल की मौत हुई हो. इस विश्लेषण में चार्टर्ड उड़ानों, प्रशिक्षित उड़ानों, कार्गो उड़ानों और बिना यात्री वाली उड़ानों को शामिल नहीं किया गया है
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास से मिले आंकड़ों के मुताबिक 1995-96 से लेकर अब तक हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या में 10 गुना बढ़ोतरी हुई है. हालांकि पहले की तुलना में विमान हादसे काफी कम हो गए हैं. 2011-2020 का समय हवाई हादसों को लेकर आजादी के बाद का सबसे बेहतर समय माना जाता है. इस दौरान केवल कोझिकोड हवाईअड्डे पर हुए यात्री विमान हादसे का शिकार हुआ था. मई 2010 में एक एयर इंडिया एक्सप्रेस का मंगलौर के हवाई अड्डे पर हादसा हुआ था, जिसमें 158 लोगों की मौत हुई थी.
समय के साथ एयरक्राफ्ट तकनीक काफी सुरक्षित हुई है. 1951 से लेकर 1980 तक के 30 सालों में कुल कुल 34 विमान हादसे हुए थे. इन विमान हादसों की जांच से पता चलता है कि इनमें से 59 फीसदी हादसे यानि लगभग 20 हादसे पायलट की गलतियों की वजह से हुए थे. जबकि 1981-2010 तक कुल 13 विमान हादसे हुए, जिनमें से 12 या 92 फीसदी हादसे पायलट की गलतियों की वजह से हुए. भारत में आजादी के बाद से अब तक हुए विमान हादसों की बात करें तो कुल 2,173 मौतों में से 1,740 मौतें पायलट की गलती के कारण हुई हैं.