बीजिंग 25 जुलाई, भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है, चीनी सेना ने भारत को अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध की धमकी दी गई है। चीनी सेना (पी.एल.ए) ने कहा कि भारत को किसी प्रकार के भ्रम में नहीं रहना चाहिए और डोभाल की 27 जुलाई को ब्रिक्स देशों के सम्मलेन में भाग लेने वाली यात्रा को किसी भी प्रकार से डोकलाम विवाद के हल के रूप में न देखा जाए। चीन के अनुसार भारतीय सेना की बिना शर्त वापसी ही, चीन की वार्ता की अंतिम शर्त है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अपनी 90 वीं सालगिरह के मौके पर (1 अगस्त) इस बार सैन्य परेड की बजाय, युद्ध्भ्यास का आयोजन करेगी, इस बार उसका यह फैसला भारत के साथ तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, विश्व की संबसे बड़ी स्टैंगिग आर्मी के कंमाडर राष्ट्रपति शी चिनफिंग हैं। हांगकांग के ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के अनुसार चिनफिंग के आदेश पर ही एक अगस्त को पीएलए की 90वीं वर्षगांठ के मौके पर सैन्य परेड की बजाय सैन्य अभ्यास आयोजित किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि चिनपिंग एशिया के सबसे बड़े सैन्य प्रशिक्षण अड्डे पर चीन के सबसे बड़े युद्ध अभ्यास में विशिष्ठ अतिथि होंगे। सेना से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि चीन के युद्धक विमान जे-20 का एक स्क्वाड्रन इस अभ्याय में शामिल हो सकता है, जो इसी साल मार्च में पीएलए की वायुसेना का हिस्सा बना था। चीन सीमा विवाद पर दोनों देशों के एन.एस.ए इससे पहले पिछले साल नंवबर में मिले थे, यह सीमा विवाद को लेकर 19वीं बातचीत थी, तब यह तय हुआ था कि दोनों देशों के सीमा विवाद को बातचीत से जल्द सुलझाया जाएगा. इसके लिए दोनों देशों के बीच 20वीं बैठक भारत में होगी। दोनों देशों ने मिलकर सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित विशेष समिति की है, जिसके जरिए विवाद को सुलझाया जा सके, इस समिति में अजित डोभाल एक मुख्य सदस्य हैं, डोभाल पीएम मोदी के भरोसेमंद हैं, उन्होंने चीन-पाकिस्तान जैसे बड़े मामलों से निपटने के लिए उन्हें ही पूरी जिम्मेदारी दी है। डोभाल के एन.एस.ए बनने के बाद सुरक्षा नीति पर भारत का रुख आक्रामक हुआ है, चाहे वह पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हो, या फिर म्यांमार में घुसकर आतंकियों को मारना. चीन के मुद्दे पर भी भारत इस बार आक्रामक रुख बनाए हुए है और झुकने को तैयार नहीं है।
अमेरिका की विदेशी मामलों की खुफिया सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए चीन तेजी से बलपूर्वक, हठधर्मी तरीके अपना रहा है जैसा कि विवादित दक्षिण चीन सागर में देखा गया है. केंद्रीय खुफिया एजेंसी के ईस्ट एशियन मिशन सेंटर के उप सहायक निदेशक माइकल कोलिंस की टिप्पणी पेंटागन के कल दिए गए उस बयान के बाद आई है जिसमें उसने कहा था कि पूर्वी चीन सागर में रविवार को दो चीनी जे 10 लड़ाकू विमानों ने असुरक्षित तरीके से अमेरिकी नौसेना के एक निगरानी विमान को बाधित किया था। चीन और अमेरिका के लंबे समय से सहयोगी रहे देश जापान, पूर्वी चीन सागर में द्वीपों की श्रंखला पर अपना-अपना दावा जताते हैं, सेनकाकू द्वीपों को लेकर कई बार तनाव बढ़ा है, जिस पर चीन डायओयु द्वीप बताकर अपना दावा जताता है।
विश्लेषण : ज्ञात हो चीन को भी सोचना होगा कि उसकी एक-तरफा सोच या दबाव अब एशियाई क्षेत्रो में नहीं चलेगा, युद्ध की धमकी से पहले यह भी सोच ले, कि भारत के अलावा बाकी देशों की दखलंदाजी भी उसके किसी भी अपरिपक्व नीति पर भारी हो सकती है।