Home दिल्ली वैक्‍सीनेशन के बाद भी नहीं बनीं एंटीबॉडी तो क्‍या दोबारा लगवाना पड़ेगा...

वैक्‍सीनेशन के बाद भी नहीं बनीं एंटीबॉडी तो क्‍या दोबारा लगवाना पड़ेगा टीका, जानें

36
0

 भारत में कोरोना के खिलाफ वैक्‍सीनेशन (Vaccination) अभियान मजबूती से चल रहा है. पिछले कुछ दिनों में देश में रोजाना एक करोड़ से ज्‍यादा वैक्‍सीन लगाने का रिकॉर्ड भी बना है. हालांकि वैक्‍सीनेशन के बाद कई लोगों ने एंटीबॉडी (Antibody) की जांच भी कराई है जिसमें टीकाकरण के बाद भी एंटीबॉडी न बनने की शिकायतें सामने आई हैं. ऐसे में लोगों के मन में ये शंका है कि अगर टीके की दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना (Corona) के खिलाफ पर्याप्‍त एंटीबॉडी नहीं बनी हैं तो क्‍या दोबारा वैक्‍सीन लगवानी पड़ेगी?

स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन प्रभावकारिता का सभी पर अलग-अलग असर पड़ता है. कुछ लोगों में वैक्सीन लगने के बाद भी एंटीबॉडी नहीं देखी गई है. ऐसे में लोग भी यह पूछ रहे हैं कि अगर एक वैक्‍सीन से एंटीबॉडी नहीं बनीं तो क्‍या कोई दूसरी वैक्‍सीन लगवानी होगी ताकि कोरोना के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्‍त की जा सके.

जोधपुर स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्पलिमेंटेशन रिसर्च ऑन  नॉन कम्यूनिकेबल डिसीस) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डा. अरूण शर्मा का कहना है कि अगर आपने वैक्सीन ले ली तब भी एंटीबॉडी नहीं बनी तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. हालांकि वैक्सीन लेने के बाद एंटीबॉडी टाइटल्स का स्तर कम आता है तो इसका मतलब यह नहीं कि दोबारा वैक्सीन लेने की जरूरत है.

डॉ. शर्मा कहते हैं कि इसका जवाब जानने के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि एंटीबॉडी क्यों नहीं बनी? क्या आपके शरीर में कोई जेनेटिक कंपोजिशन है या इससे संबंधित कुछ ऐसी दिक्कत है जो एंटीबॉडी को बनने से रोक रहे हैं. इसलिए अगर वैक्सीन लगने के बाद भी एंटीबॉडी नहीं बन रहीं तो सबसे पहले आपको इसकी वजह का पता लगाना होगा. इसके लिए लोगों को इम्यूनोलॉजिस्ट से संपर्क करने के बाद आपको पैथोलॉजिस्ट से पूरी जांच करानी चाहिए.

वे कहते हैं कि कोविड में हम शरीर में हृयुमोरल एंटीबॉडी देखते हैं. हृयुमोरल इम्यूनिटी को समझने के लिए इस बात को समझना होगा कि टी सेल्स भी दो तरह की होती है. एक टी सेपरेशर सेल्स होती हैं और दूसरी टी हेल्पर सेल्स होती हैं. टी हेल्पर सेल्स कोरोना वायरस को पहचाने का काम करती हैं. इसके साथ ही वायरस का हमला होने पर वह पहचान लेती हैं कि इस तरह के वायरस ने पहले भी कभी हमारे शरीर पर हमला किया था वह वायरस को याद रखती हैं और वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करती हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here