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क्या टूट रही है वो आकाशगंगा, जिसमें हमारी पृथ्वी भी है मौजूद

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हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky Way) का आकार सर्पिल है और इसके बहुत से हिस्से से हमारे वैज्ञानिक अनजान हैं. गैलेक्सी (Galaxy) के अंदर पर जहां हमारी पृथ्वी स्थित है वहां से इसका अध्ययन करना बहुत मुश्किल है, लेकिन हाल ही में किए गए अध्ययन ने इस विशाल स्तर की संचरना के बारे में नई तरह की जानकारी हासिल की है. वैज्ञानिकों ने मिल्की वे की सर्पिल भुजा (Spiral Arm) में से कुछ युवा तारों और तारों को बनाने वाले बादलों का समूह का पता लगाया है जो उससे बाहर की ओर निकला है और भुजा के टूटने का आभास देता लग रहा है.

सर्पिल भुजा (Spiral Arm) का यह टुकड़ा करीब तीन हजार प्रकाश वर्ष तक फैला है और यह पहली ऐसी संरचना है जो गैलेक्सी (Galaxy) की भुजा से इस तरह से बाहर निकली हुई है और भुजा से बहुत अलग है. खगोलविदों को मिल्की वे (Milky Way) की भुजाओं की आकार और विस्तार के अस्पष्ट अंदाजा है, लेकिन इसमें बहुत कुछ ज्ञात नहीं है. वे हमारी गैलेक्सी का पूरा आकार नहीं देख सकते क्योंकि पृथ्वी खुद उसी के अंदर है. यह बिलकुल वैसा ही है जैसे भारत की राजधानी के कनॉट प्लेस में रह कर नई दिल्ली का नक्शा बनाने की कोशिश करना.

और अधिक जानने के लिए इस नए शोध के अध्ययनकर्ताओं ने गैलेक्सी में पास की भुजा, जिसे सैजिटेरियस भुजा कहा जाता है, पर ध्यान दिया. नासा (NASA) के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप के जनवरी 202 में रिटायर होने से पहले उसके आंकड़ों का उपयोग कर शोधकर्ताओं ने नवोदित तारों और उनके पास के गैस और धूल के बादलों या नेबुला (Nebulae) का अध्ययन किया जहां उन तारों का निर्माण हुआ था. स्पिट्जर वह इफ्रारेड प्रकाश पकड़ सता है तो इन बादलों को पार कर सकता है, लेकिन दिखने वाला प्रकाश नहीं पार कर सकता. ये युवा तारे और बादल भुजाओं के आकार के साथ ही स्थित माने जाते हैं भुजा के हिस्से का त्रिआयामी दृश्य हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के गाइगा अभियान के ताजा आंकड़ों का उपयोकर तारों के बीच की सटीक दूरी का मापन किया. संयुक्त आंकड़ों से खुलासा हुआ कि सैजिटेरस भुजा से जुड़े हुए पतली लंबी संरचना युवा तारों से बनी है जो एक ही वेग और दिशा से चल रहे हैं.

नासा (NASA) के कैलटेक में एस्ट्रोफिजिसिस्ट और इस शोध के प्रमुख लेखक माइकल कुन्ह ने बताया कि सर्पिल भुजा (Spiral Arm) की विशेषता यह होती है कि वह गैलेक्सी के आसपास कैसे ‘बंधी’ होती है. इस विशेषता को भुजा के पिच कोण (Pitch Angle) से नापा जाता है. एक वृत्त का पिच कोण शून्य होता है और जैसे जैसे सर्पिल खुलने लगता है पिच कोण भी बढ़ने लगता है. मिल्की वे के अधिकांश मॉडल सुझाते हैं कि सैजिटेरियस भुजा एक सर्पिल भुजा है जिसका पिच कोण करीब 12 डिग्री है, लेकिन इस संरचना के अध्ययन से पता चला कि इसका पिच कोण वास्तव में 60 डिग्री है. 

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