अगले कुछ हफ्तों में कोवोवैक्स (covovax) के ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण की तैयारी है. ये बाल चिकित्सा परीक्षण हैं जो पूरे देश में होंगे. इसके लिए नाबालिगों और बच्चों का नामांकन बस शुरू होने ही वाला है. मुंबई में यह नायर अस्पताल में होगा. द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी फर्म नोवावैक्स द्वारा विकसित पुन:संयोजक नैनोपार्टिकल प्रोटीन-आधारित वैक्सीन NVX-CoV2373 को भारत में कोवोवैक्स के नाम से ब्रांडेड किया गया है. यह भारत में बच्चों के लिए क्लिनिकल परीक्षण से गुजरने वाला चौथा कोविड वैक्सीन (Covid vaccine) होगा.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने देश में 10 स्थानों पर 920 नाबालिगों से जुड़े परीक्षणों के लिए हरी झंडी दे दी है. इसमें अलग-अलग आयु वर्ग में ट्रायल डिजाइन किया गया है. इसमें पहले 12-17 वर्ष की आयु के नाबालिगों का नामांकन और उसके बाद 2-11 साल के आयु वर्ग में बच्चों का नामांकन होगा. ऐसा बताया गया है कि वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट सितंबर तक भारत में वयस्कों के लिए और साल के अंत तक नाबालिगों के लिए कोवोवैक्स लांच करने के लिए नोवावैक्स के साथ पार्टनरशिप कर रहा है.
बच्चों पर कैसे होता है ट्रायल?
बच्चों में वैक्सीन का ट्रायल दो चरणों में किया जाता है. पहले फेज में बच्चों पर अलग-अलग डोज का इस्तेमाल किया जाता है. 6 महीने से 1 साल के बच्चों को 28 दिन के अंतराल पर 25, 50 और 100 माइक्रोग्राम लेवल की डोज दी जाती है, जबकि 2 से 11 साल के बच्चों को 50 और 100 माइक्रोग्राम लेवल की दो डोज 28-28 दिन के अंतराल पर दी जाती है. बच्चों को वैक्सीन की दो डोज देने के बाद 12 महीने तक उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जाएगी. उसके सफल होने के बाद ही ट्रायल को कम्प्लीट माना जाएगा.
कई देशों में बच्चों की वैक्सीन पर भी काम शुरू
भारत में बच्चों के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं आई है. कई देशों में बच्चों की वैक्सीन पर भी काम शुरू हो गया है. अमेरिका के एफडीए ने बीते 10 मई को 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक के वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है. फाइजर की वैक्सीन बच्चों के लिए अप्रूवल पाने वाली दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है. कनाडा के ड्रग रेगुलेटर ने भी 12 से 15 साल के बच्चों को यह वैक्सीन लगाने की इजाजत दे दी है. अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना भी बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन ला रही है, जिससे लोगों में नई उम्मीद जगी है. मॉडर्ना ने 12 से 17 साल के बच्चों पर वैक्सीन का क्लीनिकल परीक्षण किया. रिपोर्ट में वैक्सीन को 96 फीसदी तक प्रभावी पाया है. जॉन्सन एंड जॉन्सन भी 12 साल से 18 साल के किशोरों पर वैक्सीन के ट्रायल कर रही है .