कोरोना के दौरान सिर्फ स्कूलों में ही नहीं बल्कि कॉलेजों में पढ़ाई काफी बाधित रही है. हालांकि इस दौरान ऑनलाइन क्लासेज और डिजिटल शिक्षण ने पढ़ाई को बरकरार रखने में न केवल मदद की है बल्कि इसे सुचारू भी रखा है. देश में कोविड के बाद पैदा हुए हालातों में अब ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन की ओर से तैयार किया गया कोर्स काफी फायदेमंद हो सकता है.
शिक्षण को बेहतर करने के लिए लगातार कोशिशें कर रहे एआईसीटीई ने सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए आठ मॉड्यू्ल वाले सर्टिफिकेट कोर्स को अनिवार्य कर दिया है. लिहाजा देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की तैयारी कर रहे छात्रों को अब एक और कोर्स की पढ़ाई करनी पड़ेगी. वहीं अन्य शिक्षण संस्थाओं से भी अपील की है कि अगर वे अपने यहां शिक्षकों को इस कोर्स को करने के लिए प्रेरित करते हैं या इसे अनिवार्य करते हैं तो यह काफी फायदेमंद हो सकता है.
एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल दत्तात्रेय सहस्त्रबुद्धे ने न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में कहा कि टेक्निकल एजुकेशन काउंसिल ने देशभर के आईआईटी सहित सभी इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में पढ़ाने वाले स्टाफ के लिए 8 मॉड्यूल सर्टिफिकेट कोर्स को अनिवार्य कर दिया है. इस कोर्स को किए बिना किसी भी उम्मीदवार को कॉलेजों में फैकल्टी में नियुक्त नहीं किया जाएगा.
प्रोफेसर अनिल कहते हैं कि आज कोरोना के कारण हालात काफी जटिल हो गए हैं. ऐसे में शिक्षकों के साथ साथ शिक्षण के तरीको को भी अपडेट होने की जरूरत है. पहले के बनाए ढर्रे से आज के दौर में नहीं चला जा सकता. शिक्षा और शिक्षण पद्धति में समय के साथ बदलाव जरूरी है. यही वजह है कि एआईसीटीई ने सभी बातों को ध्यान में रखकर इस मॉड्यूल कोर्स को तैयार किया है.
क्या है इस कोर्स में खास और ये मॉड्यूल
सहस्त्रबुद्धे कहते हैं कि जो शिक्षक शासकीय या निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं, उनको बिना कोर्स किए अब प्रमोशन नहीं होगा. पहले एमटेक होल्डर उम्मीदवार को बीई या डिप्लोमा कोर्स पढ़ाने के योग्य मान लिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. यह कोर्स मुख्य रूप से शिक्षकों की योग्यता बढ़ाएगा. खास बात है कि यह कोर्स ऑनलाइन है और कोई भी व्यक्ति रजिस्ट्रेशन कराने के बाद इसे कर सकता है. इससे तकनीकी संस्थानों में शिक्षा का स्तर भी बेहतर होगा. इसमें ये आठ मॉड्यूल हैं.
ओरिएंटेशन टू-वर्ड्स टेक्निकल एजुकेशन एंड करिकुलम आस्पेक्ट्स.
प्रोफेशनल एथिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी
कम्युनिकेशन स्किल, मोड्स एंड नॉलेज डिसीमिनेशन
इंस्ट्रक्शनल प्लानिंग एंड डिलिवरी
टेक्नोलॉजी अनेबल लर्निंग एंड लाइफ लांग सेल्फ लर्निंग
स्टूडेंट असेसमेंट एंड इवेल्युएशन
क्रिएटिव प्रॉब्लम साल्विंग, इनोवेशन एंड मीनिंगफुल रैंड डी
इंस्टीट्यूशनल मैनेजमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर
इन आठ मॉड्यूल में कोरोना के दौरान पैदा हुई परिस्थितियों के कारण डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षण की जरूरत को भी पूरा किया गया है. आज के शिक्षक के लिए यह बहुत जरूरी है.
स्वयं प्लेटफॉर्म पर कोई भी कर सकता है ये कोर्स
प्रोफेसर अनिल कहते हैं कि सर्टिफिकेट कोर्स के लिए पोर्टल बनाया जा रहा है. स्वयं पोर्टल पर जाकर भी इस कोर्स को ऑनलाइन किया जा सकता है. इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने के इच्छुक उम्मीदवार बी.टेक करने बाद एम.टेक करते हुए भी यह सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं. हालांकि इस दौरान उम्मीदवारों को दो महीने का इंडस्ट्रियल विजिट करना भी अनिवार्य होगा. इंडक्शन प्रोग्राम भी अटेंड करना होगा. टीचिंग करियर के दौरान होने वाले विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम को अटेंड करना होगा.
कोरोना के बाद के हालात के लिए अन्य संस्थाएं भी कर सकती हैं इसे अनिवार्य
प्रो. अनिल कहते हैं कि कोरोना के बाद आज देशभर के स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं. अभी भी तीसरी लहर की संभावना और भविष्य में डिजिटल शिक्षण पर जोर होने के चलते यह सर्टिफिकेट कोर्स लाभदायक हो सकता है. वे कहते हैं कि उन्होंने इंजीनियरिंग के शिक्षकों के लिए इसे अनिवार्य किया है लेकिन अगर सामान्य बीएड या एमएड करके पढ़ाने वाले शिक्षक भी इसे करते हैं तो यह भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के साथ ही आज के दौर में शिक्षा के बदलते स्वरूप के लिए उन्हें मजबूत बना सकता है.
प्रो. कहते हैं कि ये सुझाव है कि अगर देश में बीएड, बीटीसी, एमएड करके बने शिक्षक या लेक्चरर और प्रोफेसर इस कोर्स को करें तो यह आज के दौर में शिक्षण में आ रहे बदलावों के लिए उन्हें आसानी से तैयार कर सकता है. यह तकनीकी के प्रयोग और बेहतर शिक्षण के विकल्पों को बताने वाला कोर्स है