राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet expansion) की चर्चाओं के बीच गहलोत कैबिनेट के कुछ मंत्रियों पर गाज गिर सकती है. कुछ मंत्रियों का विभाग भी बदला जा सकता है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट (Performance Reports) तलब की है. कैबिनेट सचिवालय और प्रशासनिक सुधार विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय को मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भेज दी है.
बताया जा रहा है कि यह सारी कवायद सियासी संकट से पार पाने और गहलोत-पायलट गुट के नये मंत्रियों को बराबर-बराबर एडजस्ट करने के लिए की जा रही है. सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया में कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है, जबकि कुछ
मंत्रियों को अतिरिक्त प्रभार की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जा सकता है. नियमानुसार मंत्रिमंडल में सीएम समेत कुल 30 मंत्री हो सकते हैं. वर्तमान में सीएम गहलोत के अलावा 10 कैबिनेट और 10 ही राज्य मंत्री हैं.
पूर्व में तीन को हटा दिया गया था और एक का निधन
पूर्व में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हो गया था. इससे पहले गत वर्ष सियासी संकट में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, खाद्य मंत्री रमेश मीणा और पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह को मंत्री पद से हटा दिया गया था. वर्तमान में कुल 9 पद खाली हैं. सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि पायलट खेमा इनमें से 6 मंत्री पद की मांग रहा है. इसलिये एडजस्टमेंट का यह तरीका निकाला जा सकता है.
कोरोना काल में प्रभार वाले जिलों से नदारद रहे मंत्री
कोरोन काल में अधिकतर मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में नहीं गए. अधिकांश मंत्रियों ने कलेक्टर से फोन पर ही जिलों का हाल पूछा. जिस समय अस्पतालों में ऑक्सीजन और दवाओं के लिए मारामारी हो रही थी, उस समय मंत्री अपने घरों में कैद रहे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बात से खासे नाराज बताये जा रहे हैं कि दिशा निर्देशों के बावजूद भी मंत्रियों में प्रभार वाले जिलों का दौरा नहीं किया.
सीएम की सख्ती के बाद एक्टिव हुए मंत्री
हालांकि मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद कुछ मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया. सरकार हर जिले में एक प्रभारी मंत्री लगाती है ताकि वह जिले की योजनाओं की नियमित समीक्षा कर सकें और जरूरत के अनुसार एक्शन ले सकें. प्रशासनिक मशीनरी के बारे में राज्य सरकार को फीडबैक दे सकें. लेकिन कोरोना काल में जब हर जिला संकट से गुजर रहा था और आम आदमी को मदद की दरकार थी तब मंत्री वहां से नदारद रहे थे.
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण पर बनते हैं मंत्री
मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट लेना मुख्यमंत्री की एक नियमित प्रक्रिया में माना जाता है. परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर किसे मंत्री बनाना है या नहीं बनाना है निर्भर नहीं करता है. प्रदेश की सियासत में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार मंत्री पर बनाए जाते रहे हैं. लेकिन अब सियासी संकट के दौर में जिस तरह से मुख्यमंत्री कार्यालय मंत्रियों के कामकाज को लेकर गंभीर हुआ उससे अब यह तय माना जा रहा है कि मंत्री को हटाने या मंत्री बनाने में कामकाज का भी आकलन होगा.
नये विधायकों को मिल सकता है मौका
इस आकलन में जो मंत्री बेहतरीन परफॉर्मेंस दे रहे हैं उनका प्रमोशन हो सकता है. जिन मंत्रियों के पास अतिरिक्त प्रभार है और कामकाज के बोझ से दबे हैं उन्हें अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया जा सकता है. सियासी संकट को निपटाने के लिये इसमें कुछ को हटाकर उन पर ‘संकट निबटान’ फॉमूले के आधार पर नये विधायकों को मौका दिया जा सकता है.
यह पेंच भी उलझ सकता है
उल्लेखनीय है कि पायलट को लेकर राजस्थान कांग्रेस में अभी प्रेशर पॉलिटिक्स जारी है. कांग्रेस नेता सचिन पायलट शुक्रवार शाम से दिल्ली दौरे पर हैं. वहां वे प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं. पायलट कल शाम को अपने परिवार के साथ घर से बाहर निकले हैं. माना यह भी जा रहा है कि अगर पायलट को मनाने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो बीएसपी से कांग्रेस में आए विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावेदारी कर सकते हैं.