अलगाववादियों पर शिकंजा कसने का असर आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर दिखने लगा है। अलगाववादियों और हिजबुल मुजाहिदीन ने बुरहान की बरसी पर पूरे कश्मीर में हिंसा फैलाने की साजिश रची थी लेकिन नकेल डाले जाने के बाद षड्यंत्र सफल होता नहीं दिख रहा है, बुरहान की बरसी के दूसरे दिन घाटी में जनजीवन पटरी पर लौटता दिख रहा है, एनआईए ने अब अलगाववादियों से जुड़े संस्थानों के रिकार्ड खंगालना शुरू किया है। इस बाबत सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक से जुड़े सात धार्मिक और शिक्षण संस्थानों को नोटिस दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इनमें से दो संस्थाएं मीरवाइज से संबंधित हैं, जबकि पांच संस्थान गिलानी और और मलिक से संबद्ध हैं। इन संस्थानों को हवाला के जरिए पाकिस्तान और सऊदी अरब से धन आया। अब तक की जांच में अलगाववादियों को पाकिस्तान से लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये मिलने के दस्तावेज जांच एजेंसी को मिल गए हैं। छापों में लश्कर-ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से मिलीभगत के भी दस्तावेज मिले हैं। एनआईए अलगाववादी नेताओं के रिश्तेदारों से भी पूछताछ कर रही है। इससे अलगाववादियों में बौखलाहट है। आतंकी बुरहान वानी की बरसी के मौके पर ही मीरवाइज से जुड़े जामिया मस्जिद के एकाउंटेंट मोहम्मद हुसैन खान और इस्लामिया स्कूल के महासचिव इब्राहिम शाह को एनआईए ने नोटिस दिया। इससे पहले मीरवाइज के दो मामाओं और गिलानी के दामाद से पूछताछ हो चुकी है।
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