लखनऊ, समाजवादी पार्टी की सरकार में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पीछे रह गई भाजपा अब अपनी कसक दूर करना चाहती है। अविश्वास और त्याग पत्र के बाद दस जिला पंचायत अध्यक्षों के पद रिक्त हो गए हैं। यह किला फतह करने के लिए पार्टी पूरी ताकत से जुट गई है। इस बार सत्ता में होने और बदले माहौल में ज्यादातर सदस्यों का भाजपा के प्रति आकर्षण होने की वजह से मंत्रियों से लेकर संगठन के पदाधिकारी इसे आसानी से हासिल करना चाहते हैं। 17 जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच के बाद उम्मीदवारी वापस लेने के लिए 20 जुलाई की तारीख तय है और 23 जुलाई को मतदान होना है। इसके पहले ही भाजपा पूर्ण बहुमत जुटाने और ज्यादातर जिलों में निर्विरोध अध्यक्ष बनाने की मुहिम में लगी है। यह अलग बात है कि अविश्वास प्रस्ताव या त्यागपत्र के जरिये कुर्सी गंवा चुके लोग भी सक्रिय हैं। इस दौरान जिलों में पक्ष और विपक्ष का ध्रुवीकरण शुरू हो गया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन का कहना है कि पिछली स.पा सरकार ने अपने हथकंडों से लोकतंत्र को कुचलने का काम किया था, लेकिन भाजपा सरकार लोकतंत्र की बहाली और आमजन के सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रही है।