Home अंतरराष्ट्रीय जॉर्ज फ्लॉयड मामले में डेरेक चाउविन हत्या का दोषी करार

जॉर्ज फ्लॉयड मामले में डेरेक चाउविन हत्या का दोषी करार

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अमेरिका की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. वॉशिंगटन की हेनेपिन काउंटी कोर्ट ने मिनियापोलिस के पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन को अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लायड की हत्या का दोषी ठहराया है. पिछले साल चाउविन द्वारा फ्लॉयड की गर्दन को घुटने से दबाए जाने के बाद दम घुंटने से मौत हो गई थी, जिसका वीडियो सामने आने के बाद अमेरिका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.

हेनेपिन काउंटी कोर्ट ने डेरेक चाउविन को दूसरे दर्जे की गैर-इरादतन हत्या, तीसरे दर्जे की हत्या और दूसरे दर्जे की निर्मम हत्या का दोषी माना है. दूसरे दर्जे की गैर-इरादतन हत्या में 40 साल तक की सजा, तीसरे दर्जे की हत्या में 25 साल तक की सजा और दूसरे दर्जे की निर्मम हत्या मामले में 10 साल तक की सजा या 20 हजार डॉलर जुर्माने का प्रावधान है.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फैसले का किया स्वागत 
कोर्ट के इस फैसले का राष्ट्रपति जो बाइडेन ने स्वागत करते हुए कहा, “ये फैसला जॉर्ज को वापस तो नहीं ला सकता है. लेकिन अब हम आगे क्या कर सकते हैं, इससे ये पता चलेगा. जॉर्ज के आखिरी शब्द थे- ‘मैं सांस नहीं ले सकता’. हम इन शब्दों को मरने नहीं दे सकते. हमें इन्हें सुनना होगा. हम इससे भाग नहीं सकते.”
 
बाइडेन ने कहा, “हिंसा न हो, शांति स्थापित हो. जो लोग विभाजन की ज्वाला को भड़काते हैं, हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते. यह अमेरिकियों के रूप में एकजुट होने और नस्लीय पूर्वाग्रह से लड़ने का समय है.”

जूरी में छह श्वेत नागरिक शामिल
अमेरिकी लोगों में नाराजगी उभरने के बाद जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के मामले को जूरी के पास भेजने का फैसला लिया गया था. जूरी में छह श्वेत लोग और छह अश्वेत लोग शामिल हैं. अभियोजन पक्ष का तर्क था कि पिछले साल मई में चाउविन ने फ्लॉयड के जीवन को इस तरह से छीन लिया कि एक बच्चा भी जानता है कि वह तरीका गलत था. हालांकि, बचाव पक्ष ने दावा किया कि सेवा से बर्खास्त किए जा चुके श्वेत अधिकारी ने उचित कार्रवाई की थी और 46 वर्षीय फ्लॉयड की हृदय संबंधी बीमारी और नशीली दवाओं के अवैध इस्तेमाल से मौत हुई थी.

बहस खत्म होने के बाद, न्यायाधीश पीटर काहिल ने कैलिफोर्निया के जन प्रतिनिधि मैक्सिकन वाटर्स की टिप्पणियों के आधार पर कथित गलत तरीके से मुकदमे को लेकर बचाव पक्ष के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया कि अगर फैसले में किसी को दोषी नहीं ठहराया जाता है तो प्रदर्शनकारी अधिक उग्र हो सकते हैं.

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