रायपुर, पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों के नतीजे छत्तीसगढ़ के लिए अप्रत्याशीत रहे, 90 सीटों के चुनाव में 68 सीटों के साथ जहाँ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी, वहीँ भारतीय जनता पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, दिग्गज नेताओं के हारने के साथ भारतीय जनता पार्टी के 15 विधायक ही जीत पाए अन्य के खाते में 7 सीट गई, छत्तीसगढ़ में 55 लाख मोबाइल महिलाओं और छात्र-छात्राओं को संचार क्रांति योजना के तहत बांटे जा रहे थे, जिसपर किसानों को 2500 रु. किन्टल धान का समर्थन मूल्य, ऋण माफ़ी और 2 विगत वर्षों का बोनस वाला कांग्रेस का घोषणा पत्र भारी पड़ा, 15 वर्षों की सरकार के विरोध से ज्यादा इस बार जन योजना की आगामी दृष्टि भारी पड़ती दिखाई दी, छत्तीसगढ़ की राजधानी में रायपुर में निर्माणरत स्काई वाक का जनविरोध रहा, जिसने भा.ज.पा. की माउथ पब्लिसिटी ख़राब की। उधर मध्य प्रदेश में 230 सीटों के चुनाव में कांग्रेस ने 114, भा.ज.पा. ने 109 और अन्य ने 7 सीट पाई है, मध्य प्रदेश में भ्रस्ट्राचार मुद्दा, सवर्णों के आन्दोलन, शिवराज सिंह के बयान और किसान के मुद्दे चुनावों के इर्द-गिर्द रहे, परन्तु शिवराज सिंह की हार सम्मान जनक आंकड़े के पास रही, राजस्थान की 199 सीटों में कांग्रेस ने, भा.ज.पा. ने 73 और अन्य के खाते में 26 सीट आई हैं, राजस्थान का ट्रेंड रहा है कि पांच वर्ष बाद सरकार जनता बदल ही देती है, 1 सीट का चुनाव ब.स.पा प्रत्याशी के चुनाव के दौरान निधन होने के कारण रद्द कर दिया गया था। तेलंगाना में 119 सीटों में टी.आर.एस को 88, कांग्रेस को 19 व अन्य के खाते में 12 सीट मिली हैं, और मिजोरम में 40 सीटों पर हुए चुनाव में एम.एन.ऍफ़ को 26, कांग्रेस को 05 व 9 अन्य को मिली हैं। इस चुनाव से स्पष्ट हुआ कि लोक लुभावन योजनाओं पर भी विचार होना चाहिए, मूल आवश्यकता के इर्दगिर्द ही घूमती हैं, जनआशायें।