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भारत में रूसी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया की घोषणा

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नई-दिल्ली, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ रूस का सबसे बड़ा व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आया हुआ है, वाणिज्य एवं उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने रूस की कंपनियों के लिए एक फास्ट-ट्रैक, एकल खिड़की व्यवस्था की घोषणा की है, यह व्यवस्था वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डी.आई.पी.पी) के सचिव के अधीन संचालित होगी। डी.आई.पी.पी, इंवेस्ट इंडिया और भारतीय औद्योगिक परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित भारत-रूस व्यापार शिखर बैठक को संबोधित उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था रूसी-डेस्क के अतिरिक्त होगी, उल्लेखनीय है कि रूसी-डेस्क का गठन भारत में रूसी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया था। सुरेश प्रभु ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण यातायात गलियारे पर काम चल रहा है और यूरेशिया आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते से एक विशाल बाजार तैयार हो जाएगा, इससे क्षेत्र के सभी देशों को लाभ होगा तथा भारत और रूस के सभी क्षेत्रों के बीच अंतर-क्षेत्रीय साझेदारी को प्रोत्साहन मिलेगा। वाणिज्य मंत्री ने कहा है कि हाइड्रो-कार्बन, सोने-हीरे, टिम्बर, फार्मा, कृषि, बिजली उत्पादन, उड्डयन, रेल और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में भारत और रूस के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। रूस के आर्थिक विकास मंत्री मैक्सिम ओरेश्किन ने कहा कि रूस, भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि रूस राष्ट्रीय मुद्रा में कारोबार के अलावा भारत के साथ निवेश सुरक्षा तथा दोहरे कराधान से बचाव संबंधी समझौते की आशा करता है। द्विपक्षीय संबंधों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए दोनों देश प्राथमिकता देते हैं, दिसंबर 2014 में दोनों देशों के नेताओं ने यह लक्ष्य तय किया था कि 2025 तक दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाया जाएगा।

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