रायपुर(छ.ग.)05-09 : जाली नोट की पहचान एवं भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों तथा विवेचना में साक्ष्य संकलन के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जस्टिस टी0पी0 शर्मा, राज्य के प्रमुख लोकायुक्त, लोक आयोग, रायपुर (पूर्व जस्टिस हाईकोर्ट, बिलासपुर) के मुख्य आतिथ्य में अटल नगर(नया रायपुर) में संपन्न हुआ, कार्यशाला में प्रमुख लोकायुक्त श्री शर्मा ने प्रदेश के सभी जिलों से आये प्रशिक्षणार्थी पुलिस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुद्रा (नोट) राष्ट्र की धरोहर है, हमारे देश की इकॉनामी इन नोटों पर आधारित है अतः जाली नोटों की रोकथाम तथा इस जाली नोटों के प्रचलन करने वाले राष्ट्रविरोधी अपराधियों के विरूद्ध इन्विस्टिगेशन (विवेचना) में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण है। पुलिस की निष्ठा संविधान, राज्य और राष्ट्र के प्रति होनी चाहिये। पुलिस अपनी जॉंच में जाली नोट के प्रचलन के श्रोत तक पहुंचकर तथा साक्ष्य एकत्रित कर अपराधी को न्यायालय से सजा दिला सकती है। श्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती जिलों के ग्रामीण अंचल के बाजारों तथा छोटे कस्बों से जाली नोटों का कारोबार संचालित होता है ऐसे में इन अपराधों में संलग्न व्यक्तियों के मन में पुलिस का भय होना चाहिये और पुलिस की कार्य प्रणाली मनोवैज्ञानिक रूप से प्रबल होनी चाहिये जिससे अपराध को रोका जा सके और न्यायालय द्वारा अपराधियों को दण्ड दिलाया जा सके। इस कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध अनुसंधान विभाग) अरूण देव गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि देश की मुद्रा (नोट) हमारे देश की संप्रभुता को दर्शाता है कुछ राष्ट्र विरोधी तत्व अनैतिक रूप से धनोपार्जन के उद्देश्य से जाली नोट के कारोबार से जुड़ जाते हैं और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और समृद्धि को खोखला करते हैं। जाली नोटों का प्रचलन हमारे राष्ट्र के लिये कितना हानिकारक है और आतंकवाद से इसका कितना कनेक्टिविटी है ये जॉंच का विषय है। श्री गौतम ने राज्य के सभी जिलों से आये पुलिस अधिकारियों को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर नोटों में तकनीकी रूप से बदलाव करती है इसे समस्त पुलिस अधिकारियों को समझना आवश्यक है। जाली नोट पाये जाने पर संबंधित व्यक्ति अथवा अपराधियों के विरूद्ध शासन के नियमों के अनुसार कड़ी कार्यवाही करना चाहिये। कार्यशाला में भारतीय रिजर्व बैंक नागपुर के प्रबंधक विमल शर्मा और श्री चिरंजीवी ने रिजर्व बैंक द्वारा जारी अलग-अलग मूल्य वर्ग के नोटों में सुरक्षात्मक फीचर्स के बारिकियों और जाली नोटों का मिलान करने के तरीकों का पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जाली मुद्रा को पहचान करने के लिए साधारण तौर पर सामान्य ऑंखों से मिलान कर पकड़ा जा सकता है तो कुछ प्रकरणों में मेग्निफाईग ग्लास की सहायता से मिलान किया जा सकता है इसी प्रकार कुछ नोटों की बारिकियों को अल्ट्रा वायलेट किरणों के माध्यम से भी चेक किया जा सकता है। इस अवसर पर अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा प्रकाशित “जाली नोट की पहचान प्रकरणों, साक्ष्य संकलन कारगर कार्यवाही करने हेतु मार्गदिर्शका का विमोचन भी किया गया”, कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) संजय पिल्ले, उप पुलिस महानिरीक्षक एस0सी0 द्विवेदी, श्रीमती नेहा चंपावत, सहायक पुलिस महानिरीक्षक सुजीत कुमार सहित पुलिस मुख्यालय के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे, कार्यक्रम का संचालन पुलिस अधीक्षक एम0एन0 पाण्डेय ने किया।
पुलिस की निष्ठा संविधान, राज्य और देश के प्रति होनी चाहिये: प्रमुख लोकायुक्त (जस्टिस) टी0पी0 शर्मा
जाली नोट की पहचान एवं भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों तथा विवेचना में साक्ष्य संकलन के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न