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आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने वाशिंगटन में ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक में भाग लिया

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नई-दिल्ली, वाशिंगटन डी.सी. में 19 को आयोजित आई.एम.एफ/विश्व बैंक की वसंत बैठकों (स्प्रिंग मीटिंग्स) के दौरान ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की पहली बैठक आयोजित की गई, इस बैठक में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय का प्रतिनिधित्व आर्थिक मामलों (ई.ए) के विभाग में सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने किया। बैठक के दौरान जिन मुख्य मुद्दों पर चर्चा की गई वे नए विकास बैंक (एन.डी.बी) के परियोजना संबंधी प्रवाह को सदस्य देशों में समान रूप से बढ़ाने, एनडीबी की सदस्यता का विस्तार करने, अवैध वित्‍तीय प्रवाह पर एक कार्यकारी समूह और सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर एक ब्रिक्स कार्यदल (टास्क फोर्स) गठित करने के बारे में दक्षिण अफ्रीकी अध्‍यक्षता के प्रस्ताव से संबंधित थे। इस दौरान ब्रिक्स आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (सी.आर.ए) के साथ-साथ ब्रिक्स बांड फंड से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई। आर्थिक मामलों के सचिव श्री गर्ग ने बैठक के दौरान इस बात पर विशेष जोर दिया कि भारत एनडीबी की सदस्यता का विस्तार करने पर आयोजित परिचर्चाओं में एक रचनात्मक सहभागी रहा है, उन्होंने यह विचार व्यक्त किया कि समय सीमा निर्धारित करने, जिन्‍हें व्यावहारिक रूप से हासिल करना मुश्किल है, के बजाय मूल्य और अनुवृद्धि/लाभ, जिसे नया सदस्य बैंक में लाएगा, पर एक अपेक्षाकृत अधिक सावधान एवं सतर्क दृष्टिकोण श्रेयस्‍कर होगा। सदस्य राष्ट्रों में एनडीबी के परियोजना संबंधी प्रवाह को समान रूप से बढ़ाने के मुद्दे पर श्री गर्ग ने कहा कि इस उद्देश्य को बुनियादी ढांचे के लिए वित्त पोषण संबंधी सदस्य देशों की आवश्यकता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। अवैध वित्तीय प्रवाह पर कार्यकारी समूह और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पी.पी.पी) पर एक ब्रिक्स कार्यदल के गठन के प्रस्‍ताव पर सचिव (ई.ए) ने कहा कि भारत इस प्रस्ताव की सराहना करता है। हालांकि, उन्होंने यह सुझाव दिया कि एनडीबी में पहले से ही एक “परियोजना प्रबंध कोष” है, इसलिए पी.पी.पी के लिए ठीक इसी तरह का अलग से एक प्रबंध कोष बनाना श्रेयस्‍कर नहीं होगा। यह ‘परियोजना प्रबंध कोष’ इसके अलावा पीपीपी परियोजनाओं के प्रोजेक्‍ट प्रबंधन में भी समर्थ होगा। परिसंपत्ति श्रेणी के रूप में ब्राउनफील्ड (पहले से ही स्‍थापित या मौजूदा) बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को विकसित करने संबंधी भारत के अनुभव को ध्‍यान में रखते हुए सचिव (ई.ए) श्री गर्ग ने यह सुझाव दिया कि ब्रिक्स देश वित्त पोषण के स्रोतों के रूप में पेंशन फंड, सॉवरेन वेल्‍थ फंड इत्‍यादि से वित्त प्राप्त करने के लिए बड़ी आसानी से उपलब्ध इस बुनियादी ढांचागत परिसंपत्ति श्रेणी पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने “ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी” के प्रस्ताव पर ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच सर्वसम्मति सुनिश्चित करने के लिए अध्‍यक्षता से भी समर्थन मांगा। इसके साथ ही उन्‍होंने “ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी” की संभाव्‍यता के अध्‍ययन के लिए ब्रिक्स व्‍यवसाय परिषद के तत्‍वावधान में गठित विशेषज्ञ समूह द्वारा पेश की जाने वाली रिपोर्ट को प्राप्त करने और फि‍र उसे आगे बढ़ाने का अनुरोध अध्‍यक्षता से किया।

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