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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई.ए.आर.आई), द्वारा आयोजित “कृषि उन्नति मेला” को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया संबोधित

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फोटो नेट साभार

नई-दिल्ली (17-3), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई.ए.आर.आई), पूसा परिसर के “कृषि उन्नति मेला” में शामिल हुए। मेले के उद्घाटन में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के उन्नति मेलों की न्यू इंडिया की राह को सशक्त करने में बड़ी भूमिका है, इस मेले के माध्यम से मुझे न्यू इंडिया के दो प्रहरियों से एक साथ, एक समय पर बात करने का अवसर मिल रहा है। न्यू इंडिया के एक प्रहरी हमारे किसान, हमारे अन्नदाता हैं जो देश का भरण पोषण करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहे हैं, दूसरे प्रहरी हमारे वैज्ञानिक बंधु हैं, जो नई-नई तकनीक विकसित कर किसान का जीवन आसान कर रहे हैं, उन्होंने ऑर्गेनिक फॉर्मिंग बढाने और खेतों में पराली न जलाने के आशय से भी अपनी बात किसानो के सामने रखी। उन्होंने कहा कि मुझे यहां खेती के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले किसान भाई-बहनों को सम्मानित करने का भी अवसर मिला है, कृषि कर्मण और पंडित दीन दयाल उपाध्याय कृषि प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित सभी राज्यों और लोगों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, ये पुरस्कार आपकी मेहनत का सम्मान तो है ही, साथ में करोड़ों किसान भाइयों को प्रोत्साहित करने का माध्यम भी हैं। अनेक राज्यों को रिकॉर्ड अनाज उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया है, मैं विशेष रूप से यहां मेघालय की बात करना चाहूंगा, जिसे अलग से पुरस्कार दिया गया है। अपने भाषण में उन्होंने यह भी कहा कि गच्छन् पिपिलिकः योजनानां शतानि अपि याति; अगच्छन् वैनतेयः एकं पदं न गच्छति, यानि अकेली चलती हुई चींटी, धीरे-धीरे करके सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है, लेकिन अपनी जगह रुका हुआ गरुड़, एक कदम भी आगे नहीं जा पाता। कहने का मतलब ये कि बहुत छोटे-छोटे प्रयास करके भी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। लाखों वर्षों से ये चींटियां आज भी बची हुई हैं, तो उसकी वजह है इच्छाशक्ति। दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे छोटी Agriculturist हमें ये सीख देती है, कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। इस अवसर पर मंत्री राधामोहन सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, मंत्रिमंडल के पुरुषोत्तम रुपाला, गजेंद्र सिंह शेखावत, श्रीमती कृष्णा राज, और देश भर से आये किसान व कृषि वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

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