Home मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश में किसानों को मिल रहे हैं, जैविक खेती के फायदे।

मध्यप्रदेश में किसानों को मिल रहे हैं, जैविक खेती के फायदे।

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भोपाल (23-फरवरी), मध्यप्रदेश में किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिन किसानों ने जैविक खेती को अपनाया है, उनकी कृषि लागत में कमी आई है और उनके द्वारा ईंधन समेत अन्य फायदे भी लिये जा रहे हैं। पन्ना जिले के पवई ग्राम के किसान रामकिशोर नगायच ने किसान कल्याण विभाग की मदद से गोबर गैस संयंत्र स्थापित किया है, इस संयंत्र की वजह से उन्हें कई फायदे मिल रहे हैं। किसान रामकिशोर बताते हैं कि पहले वे अपने खेतों में लगातार रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया करते थे। इस वजह से उनकी कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही थी, जिसका असर कृषि उत्पादन पर भी पड़ा था। इस संबंध में उन्होंने कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने अपने घर में गोबर गैस संयंत्र इस्तेमाल करने की सलाह दी। उनके पास 6 दुधारु मवेशी भी थे, जिनके गोबर का उपयोग उन्होंने संयंत्र में किया। इसके बाद उन्होंने गोबर का उपयोग जैविक खाद बनाने में भी किया। आज उनकी कृषि लागत में काफी कमी आई है और मृदा स्वास्थ्य में भी सुधार आया है। अब रामकिशन खाद और ईंधन के लिये बाजार पर आश्रित नहीं हैं। इसी प्रकार मंदसौर जिले के ग्राम बरखेड़ादेव के रहने वाले किसान कमलेश वर्षों से रासायनिक खाद के साथ खेती कर रहे थे। मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होने से कृषि उत्पादन में लगातार कमी हो रही थी, इस बात की चर्चा उन्होंने किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के मैदानी अधिकारियों से की। किसान कमलेश को जैविक खाद बनाने की जानकारी दी गई। उन्हें कीटों के प्रबंधन हेतु जैविक टॉनिक, जैविक काढ़ा बनाने के बारे में भी बताया गया। विभाग की आत्मा परियोजना में गौमूत्र का उपयोग कर जीवामृत, बीजामृत साथ ही वानस्पतिक पत्ती जैविक काढ़ा, गोबर के कण्डों से जैविक टॉनिक और वर्मी वॉश के बारे में भी बताया गया। किसान कमलेश बताते हैं कि जैविक खेती की वजह से प्रति हेक्टेयर सोयाबीन का उत्पादन 20 क्विंटल से बढ़कर 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है। इसके साथ ही गेहूँ का उत्पादन पहले प्रति हेक्टेयर 55 हुआ करता था, जो बढ़कर अब प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल हो गया है। जैविक खेती की वजह से कमलेश को अब साल भर में लगभग 40 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है।

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