देश में नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों (Vande bharat express) के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. 120 वंदे भारत बनाने के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (RNVL) और रूसी कंपनी ट्रांसमैशहोल्डिंग (TMH) के बीच चल रहा विवाद खत्म हो गया है. TMH-RNVL ने संयुक्त रूप से 200 वंदे भारत एक्सप्रेस में से 120 ट्रेनों को तैयार करने की बोली जीती थी. लेकिन, ज्वाइंट वेंचर में हिस्सेदारी को लेकर दोनों कंपनियों में खटास उत्पन्न हो गई. इसके बाद ट्रांसमैशहोल्डिंग ने बैंक गारंटी के रूप में जमा कराए जाने वाले 200 करोड़ रुपये नहीं दिए और यह पूरा ज्वाइंट वेंचर ही खतरे में पड़ गया था. इस बीच रेलवे ने कहा है कि साल 2025 तक स्लीपर वंदे भारत की ट्रेनें तैयार हो जाएंगी.
अब रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने एनएसई को जानकारी दी है कि वंदे भारत ट्रेन बनाने को को लेकर रसियन कंसोर्टियम TMH और RVNL में मतभेद खत्म हो गए हैं. RVNL की सब्सिडियरी किनेट रेलवे सॉल्यूशंस लिमिटेड (Kinet Railway Solutions Limited), आरवीएनएल, ज्वाइंट स्टॉक कंपनी मेट्रोवैगोनमैश और ज्वाइंट स्टॉक कंपनी लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स के बीच एक शेयर पर्चेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
डिजाइन पर चल रहा काम
रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि साल 2025 में 2 स्लीपर वंदे भारत ट्रेन तैयार हो जाएंगी, जिन्हें प्रोटोटाइप कहा जा रहा है. अभी तक एक भी स्लीपर वंदे भारत ट्रेन नहीं है. मतलब 2025 में यात्री स्लीपर वंदे भारत में सफर कर पाएंगे. ये ट्रेन लंबी दूरी वाले रूट्स पर चलेंगी. दिल्ली से कोलकाता या चेन्नई और मुंबई रूट पर. पहली 2 ट्रेनों के आधार पर ही आगे की वंदे भारत बनेंगी. कुल 120 ट्रेन कितने समय में बनेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है. फिलहाल एक महीने में 4 वंदे भारत ट्रेनें बन रही हैं. इस लिहाज से सालभर में लगभग 50 ट्रेन बन सकती है. इसे बनाने वाली कंपनियों को 35 साल तक मेंटेनेंस भी देखना होगा. अभी डिजाइन फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन RCF चेन्नई डिजाइन बनाने में लगा है.