प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान आचार संहिता (यूसीसी) की वकालत करते हुए अपने और सरकार के नजरिए को देश के सामने रख दिया है. इसके मायने ये हैं कि सरकार समान आचार संहिता को देश की एकता व समरसता के लिए जरूरी मानती है. संकेत साफ है कि मोदी सरकार संविधान के अनुच्छेद 44 में लिखित ‘सबको समान अधिकार’ की बात और सुप्रीम कोर्ट के दिए निर्देश को संज्ञान में लेकर कोई बड़ा फैसला लेने का मन बना चुकी है.
खास बात ये है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड समान आचार संहिता लागू करने की तरफ बढ़ चुके हैं. और पीएम मोदी का यूसीसी पर दिया गया बयान पार्टी कार्यकर्ताओं को और धार देगा. कर्नाटक की हार के बाद देश भर के कार्यकर्ताओं को इसी बूस्टर डोज की जरूरत थी. 2024 का एजेंडा तय हो गया है. जाहिर है कि विपक्ष इससे सकते में हैं.
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पीएम मोदी की खरी खरी
* पीएम मोदी ने भोपाल से देश भर के बुथ स्तर के कार्यकर्ताओं से बातचीत में कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. पीएम मोदी ने सवाल किया कि ऐसा घर क्या कभी चल सकता है, जिस घर में परिवार के एक सदस्य के लिए अलग कानून हो, जबकि दूसरे सदस्य के लिए अलग कानून हो? प्रधानमंत्री ने कहा कि फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह रहा है कि कॉमन सिविल कोड लाओ, लेकिन विपक्ष सुप्रीम कोर्ट को भी सुनने को तैयार नहीं है.
* उन्होंने कहा कि हमें इस बात को याद रखना है कि भारत के संविधान में भी भारत के नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग हम पर आरोप लगाते हैं, लेकिन सच यह है कि यही लोग मुसलमान-मुसलमान करते हैं. अगर यह मुसलमानों के सही मायने में हितैषी होते तो मेरे मुस्लिम परिवार के अधिकांश भाई-बहन शिक्षा-रोजगार में पीछे न रहते.
विपक्ष की बौखलाहट
कांग्रेस ने भी यूसीसी मुद्दे पर टिप्पणी की. कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा, ‘जब कोई कानून बनता है तो वह सभी के लिए होता है और उन्हें उसका पालन करना होता है. फिर उस बिल पर चर्चा करने की क्या जरूरत है जो पहले ही पारित हो चुका है? असदुद्दीन ओवौसी ने ट्वीट पर लिखा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक़, यूसीसी और पसमंदा मुसलमानों पर कुछ टिप्पणी की है. लगता है मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए.’