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उच्च शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग, एक्रेडिशन की व्यवस्था होगी पारदर्शी, कमिटी ने दिया 12 सूत्रीय सुझाव

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देश में वर्तमान रैंकिंग और प्रत्यायन प्रणाली को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए पाठ्यक्रमों एवं संस्थानों के लिए मिश्रित प्रत्यायन की व्यवस्था तैयार करने, विकल्प आधारित रैंकिंग प्रणाली बनाने और मूल्यांकन की प्रक्रिया को सरल बनाने सहित 12 सूत्री सुधारों का प्रस्ताव किया है. भारत सरकार द्वारा आईआईटी कानपुर के संचालक मंडल के अध्यक्ष डा. के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति की मसौदा रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

समिति ने उच्च शिक्षा के स्तर पर पाठ्यक्रमों एवं संस्थानों के प्रत्यायन की प्रणाली को मिलाने एवं एक मिश्रित मूल्यांकन की व्यवस्था तैयार करने का सुझाव दिया है. मिश्रित मूल्यांकन की व्यवस्था के संदर्भ में कहा गया है कि प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान के लिए एक मिश्रित तालिका तैयार की जाए, जिसमें प्रमुख कार्यक्रमों पर आधारित आयामों का उल्लेख किया जाए. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आठ जून को जारी नोटिस के अनुसार, समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप रणनीतिक सुधार की दृष्टि से सरल, विश्वसनीय, व्यवहारिक और युक्तिसंगत प्रणाली अपनाने एवं उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रत्यायण एवं रैंकिंग प्रणाली की जरूरत से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार किया था.

समिति ने इस विषय पर व्यापक विचार विमर्श के बाद ‘‘ भारत में सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के चरणबद्ध प्रत्यायन एवं मूल्यांकन को मजबूत बनाने के लिए परिवर्तनकारी सुधार ’’ विषय पर एक मसौदा रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग को सौंपी है. यह मसौदा रिपोर्ट विभिन्न पक्षकारों के विचारार्थ 22 जून तक सार्वजनिक रहेगी. मसौदा रिपोर्ट में 12 सूत्री सुधार का प्रस्ताव किया गया है जिसमें छात्रों, वित्त पोषण एजेंसियों, उद्योगों आदि विविध प्रयोगकर्ताओं के लिए विकल्प आधारित रैंकिंग प्रणाली बनाने, प्रत्यायन संस्थानों के मानदंड का स्तर ऊपर उठाने, प्रत्यायन प्रक्रिया को सरल बनाने का सुझाव शामिल है.

इसमें राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) के आठ बिन्दुओं पर आधारित ग्रेडिंग प्रणाली के स्थान पर द्वि-आधार मूल्यांकन प्रणाली को अंगीकार करने का सुझाव दिया गया है. इसके लिए तीन स्तरीय व्यवस्था जिसमें पहला प्रत्यायन किये गए संस्थान, दूसरा प्रत्यायन की प्रतीक्षा वाले संस्थान और तीसरा ऐसे संस्थान जो प्रत्यायन के मानकों से काफी नीचे हैं, की गयी है. मसौदा रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह सुझाव दिया है कि प्रत्यायन के मानकों को पूरा नहीं करने वाले संस्थानों का मार्गदर्शन करने की व्यवस्था हो तथा प्रत्यायन किये गए उच्च शिक्षण संस्थान को मानकों से नीचे वाले संस्थानों का मार्गदशन करने के लिए प्रेरित किया जाए.

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