आयकर विभाग (Income Tax Department) ने अब अपने सिस्टम को काफी चुस्त-दुरुस्त कर लिया है. इसकी वजह से अब आयकरदाताओं को रिफंड (Income Tax Refund) मिलने में लगने वाला औसत समय 26 दिन से घटकर 16 दिन ही रह गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) का दावा है कि 2022-23 में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के पहले 30 दिनों में 80 फीसदी रिफंड जारी कर दिया गया.
आयकर विभाग उन आयकरदाताओं को रिफंड देता है जो एक वित्तीय वर्ष में अपने अंतिम निर्धारित टैक्स से ज्यादा कर का भुगतान कर देता है. आसान शब्दों में कहें तो इनकम टैक्स रिफंड आपके द्वारा भुगतान किया गया अतिरिक्त टैक्स है. दावा करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसे टैक्सपेयर के बैंक खाते में डाल देता है. कुछ टैक्सपेयर को रिफंड मिलने में काफी समय लगता है या कई बार मिलता ही नहीं है. रिफंड देरी से आने या न मिलने के कई कारण हो सकते हैं. आज हम आपको उन प्रमुख कारणों के बारे में बताएंगे, जिनकी वजह से आमतौर पर रिफंड रुकता है.
गलत बैंक अकाउंट
बैंक अकाउंट नंबर या आईएफएससी कोड जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों के गलत होने पर रिफंड नहीं मिलता है. पिछले दिनों में कई बैंकों को दूसरे बैंकों में मर्ज किया गया है. ऐसे में कई बैंकों के IFSC कोड बदल गए हैं. अगर आपने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अपने बैंक अकाउंट की जानकारी अपडेट नहीं की है तो आपका रिफंड अटक सकता है. www.incometax.gov.in पर जाकर बैंक डिटेल को घर बैठे ही अपडेट कर सकते हैं.
बैंक अकाउंट का प्री-वैलिडेट न होना
जिस बैंक खाते में इनकम टैक्स रिफंड आना है, उस बैंक खाते को प्री-वैलिडेट कराना जरूरी है. आयकरदाता को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद रिफंड इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) के जरिए मिलता है. अगर आपका बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेट नहीं होगा तो रिफंड रुक सकता है.
ITR वेरिफाई न करना
कुछ आयकरदाता रिटर्न फाइल करने के बाद उसे वेरिफाई नहीं करते. आईटीआर वेरिफाई करना अनिवार्य है.जब तक आप इसे वेरिफाई नहीं करेंगे, आपकी आईटीआर प्रोसेस नहीं होगी. इसलिए हमेशा ITR को वेरिफाई करें ताकि रिफंड मिलने में देरी न हो.