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आयुष्‍मान भारत का लाभ लेने वालों में 70 फीसदी तंबाकू वाले, इस बीमारी के हुए सबसे ज्‍यादा शिकार, ICMR की स्‍टडी में खुलासा

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आयुष्‍मान भारत योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर के अस्‍पतालों में मुफ्त इलाज प्रदान करती है. अभी तक इस योजना के तहत देशभर में लाखों लोगों ने गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज करवाया है. हालांकि हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्‍टडी के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. जिसमें बताया गया है कि आयुष्‍मान भारत योजना का लाभ लेने वाले कुल मरीजों में सबसे ज्‍यादा तंबाकू की लत के कारण रोगों से जूझ रहे मरीज शामिल हैं.

आईसीएमआर की इस रिसर्च में बताया गया है कि आयुष्‍मान भारत स्‍कीम देशभर में गंभीर रोगों से पीड़‍ित मरीजों के लिए बहुत लाभदायक रही है लेकिन एक दुर्भाग्‍य की बात भी है कि इस योजना के तहत लाभ लेने वाले मरीजों में 70 फीसदी लोग वे हैं जो या तो तंबाकू खाते हैं या तंबाकू से बने उत्‍पाद जैसे बीड़ी-सिगरेट, खैनी आदि का सेवन करते हैं. ऐसे में जिस देश में तंबाकू से रेवेन्‍यू आता है वहां इससे जुड़ी बीमारियों पर हो रहा सबसे ज्‍यादा खर्च भी चिंता की बात है.

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में डिपार्टमेंट ऑफ रेडियोडायग्‍नोसिस एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह माल्‍ही बताते हैं कि इस स्‍टडी के बाद एक बात महत्‍वपूर्ण है कि तंबाकू का इस्‍तेमाल भारत में बंद करना चाहिए. इस स्‍टडी से पता चलता है कि भारत में तंबाकू के उत्‍पादन और बिक्री से 60 लाख किसानों और करीब 2 करोड़ कामगारों को काम मिलता है. वहीं करीब 70 मिलियन रुपए का रेवेन्‍यू सरकार को मिलता है. हालांकि आईसीएमआर की स्‍टडी बताती है कि सरकार को होने वाली कमाई से चार गुना ज्‍यादा लागत हेल्‍थकेयर पर आ रही है.

भारत में हर रोज 2000 लोग तंबाकू की लत से होने वाली बीमारियों के चलते जान गंवाते हैं. वहीं यह आंकड़ा सालाना 13 लाख है. तंबाकू का सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल 28.6 फीसदी युवा कहते हैं. इनमें भी पुरुषों की संख्‍या 42.4 फीसदी है, जबकि महिलाओं की संख्‍या 14.2 फीसदी है. खैनी खाने वाले 11 फीसदी लोग हैं. जबकि बीड़ी पीने वालों की संख्‍या 8 फीसदी है.

डॉ. अमरिंदर कहते हैं कि आईसीएमआर की स्‍टडी के अनुसार तंबाकू खाने से होने वाली बीमारियों के इलाज में सरकार का 270 बिलियन रुपये खर्च हो रहा है जबकि तंबाकू उत्‍पादों से होने वाली कमाई इसका सिर्फ 25.9 फीसदी हिस्‍सा ही है. ऐसे में इलाज पर आ रही लागत इससे होने वाली आय से ज्‍यादा है. इतना ही नहीं भारत को ओरल कैंसर की राजधानी का टाइटल भी मिल गया है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि सरकार इस ओर ध्‍यान दे और तंबाकू पर रोक लगाए

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