भारत और चीन की बुधवार को वैयक्तिक रूप से राजनयिक वार्ता हुई जिसमें पूर्वी लद्दाख में वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) के साथ जुड़े हुए शेष टकराव बिंदुओं से पीछे हटने के प्रस्तावों पर खुलकर चर्चा हुई. यह बैठक भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय (डब्ल्यूएमसीसी) के लिए कार्यतंत्र के ढांचे के तहत तय की गई है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्र के पश्चिमी इलाकों में एलएसी के साथ स्थिति पर समीक्षा की और खुले तौर पर पीछे हटने के प्रस्तावों पर चर्चा की. मंत्रालय ने कहा कि शांति बहाली से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए स्थिति बन पाएगी. आगे कहा गया कि इस मकसद को पूरा करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत दोनों पक्ष वरिष्ठ कमांडरों की 19वे दौर की बातचीत के लिए सहमत हुए हैं.
दोनों पक्षों के बीच 27वें दौर की बैठक
भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव बिंदुओं पर पिछले 3 सालों से ज्यादा वक्त से तनाव चल रहा है. जबकि दोनों पक्षों ने कई इलाकों से राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद वापसी पूरी कर ली है. यह डब्ल्यूएमसीसी की 27वें दौर की बैठक थी, पिछली बैठक 22 फरवरी को बीजिंग में हुई थी. इस बार बैठक में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. वहीं चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक ने किया.
दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 18वें दौर की बैठक 23 अप्रैल को हुई थी, जिसमें वे संपर्क में रहने और पूर्वी लद्दाख में मौजूद विवाद पर जल्दी से जल्दी आपसी सामंजस्य के साथ समाधान ढूंढने पर राजी हुए थे