देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खूब बढ़ावा दिया है. भारतीय वाहन निर्माता अब इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को प्राथमिकता से आगे बढ़ा रहे हैं. हालांकि, सड़कों पर पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों का बोलबाला होने में अभी काफी समय लगेगा. इस लक्ष्य की राह में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों के अलावा सबसे बड़ा रोड़ा है चार्जिंग स्टेशन की अनुपलब्धता. अभी देश में बहुत कम ही स्थानों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन हैं. लेकिन अब इसका भी हल ढूंढ निकाला गया है. देश में बड़े इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग स्टेशन जाने की जरूरत ही नहीं होगी.
देश में अब इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की तैयारी चल रही है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल एक बैठक में कहा था, “हमारी योजना दिल्ली-मुंबई के बीत एक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की है. ट्रॉलीबस की तरह ही इस पर ट्रॉली ट्रक चलाए जा सकेंगे.” उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक हाईवे वह होते हैं जहां ओवरहैड वायर्स (सड़क के ऊपर लगी बिजली की तारें) के जरिए गाड़ियों को ऊर्जा दी जाती है. केंद्रीय मंत्री ने इसी साल मार्च में कहा था कि इसे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर ही बनाया जाएगा. एक्सप्रेसवे की चार लेन को इलेक्ट्रिक किया जाएगा.
क्या है इलेक्ट्रिक हाईवे का मतलब?
इलेक्ट्रिक हाईवे पर वाहनों को जमीन से या फिर ऊपर लगी तारों से बिजली दी जाती है. इन वाहनों को चार्जिंग स्टेशन पर रुककर चार्ज नहीं करना पड़ता. इसे ट्रेन के उदाहरण से समझ सकते हैं. आपने देखा होगा की ट्रेन पटरी के ऊपर भी बिजली की तारे निकल रही होती हैं. ट्रेन के ऊपर लगा पेंट्रोग्राफ इन तारों से जुड़ता और फिर बिजली ट्रेन के इंजन में ट्रांसफर होती है. ठीक इसी तरह से इलेक्ट्रिक हाईवे भी काम करेगा.