सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को मणिपुर हिंसा (Manipur violence) की एसआईटी से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा कि शीर्ष अदालत मणिपुर में हिंसा के कारण जान-माल के नुकसान को लेकर गहराई से चिंतित है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार से राहत शिविरों का विवरण देने को कहा है. कोर्ट ने पूछा कि विस्थापित लोगों के लिए क्या किया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हमारा लक्ष्य लोगों की तत्काल सुरक्षा, बचाव और पुनर्वास है. उन्हें उनके घरों में वापस लाया जाना चाहिए. धार्मिक स्थलों की भी रक्षा की जानी चाहिए.’
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह एक मानवीय मुद्दा है. सरकार कार्रवाई कर रही है. हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एसजी ने कहा है. आप अपनी चिंताओं को उचित तरीके से बता सकते हैं ताकि यह कार्यवाही अस्थिरता का दूसरा आधार न बन जाए.’
इस पर सरकारों (केंद्र एवं राज्य) ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि पिछले सप्ताह हुई हिंसा के मद्देनजर लगाए गए कर्फ्यू में कल ढील दी गई और रविवार और सोमवार को हिंसा की कोई घटना नहीं हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की अपडेट स्थिति पर मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह के बाद मणिपुर की स्थिति पर अपडेट स्थिति रिपोर्ट मांगी है. मणिपुर हिंसा पिछले बुधवार को 10 जिलों में तब शुरू हुई जब मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग के विरोध में एक मार्च निकाला गया था, जो राज्य की आबादी का लगभग 53% है. इसके बाद हुई आगजनी में कम से कम 54 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में कई संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है और 23 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना पड़ा है.