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कश्मीर में G20 समिट से बौखलाया पाकिस्तान, ISI ने आतंकियों के साथ रची ऑपरेशन ‘डाउन टाउन’ की साजिश

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जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 में संशोधन के बाद से ही घाटी में बदलाव की बयार बहने लगी है. सभी तरफ़ शान्ति है, यहां तक कि दक्षिण कश्मीर के जिले में भी जो सबसे ज़्यादा अशांत रहता था. श्रीनगर के दिल में बसा डाउन टाउन भी अब बिल्कुल शांत है… ना कोई पत्थरबाज़ी और ना कोई विरोध प्रदर्शन… एक समय था जब श्रीनगर का डाउन टाउन इलाक़ा पत्थरबाज़ी के लिए सबसे ज़्यादा जाना जाता था.

10 साल पहले तक तो सुरक्षा बलों को उस इलाके में ऑपरेशन करने में भी बड़ी दिक़्क़त होती थी क्योंकि ये पूरा इलाक़ा कश्मीर की सबसे पुराने रिहायशी क्षेत्र हैं और यह बहुत ही घनी आबादी वाला एरिया है. यहां तक कि ये भी कहा जाता था कि अगर कोई आतंकवादी चाहे वो पाकिस्तानी हो या स्थानीय एक बार इस इलाक़े में पहुंच गया, तो उसे पकड़ना या उसका एनकाउंटर करना बहुत मुश्किल होता था. और इसी डाउन टाउन के क़रीब जी-20 जैसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम भी कश्मीर में आयोजित हो रहे हैं.

लेकिन ये सब बदलाव पाकिस्तान को बिल्कुल हज़म नहीं हो रहा है. जी-20 के कार्यक्रम से आतंकवादियों की घुसपैठ और आंतकी हमलों की साज़िशें ज़ोरों पर रची जा रही हैं. अब खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान और आईएसआई की एक ऐसी साज़िश का खुलासा किया है जो कि डाउन टाउन के ज़रिए श्रीनगर में माहौल ख़राब की तैयारी में जुटा है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक़ अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी के संगठन दुख्तरान-ए- मिल्लत के कैडर को डाउन टाउन इलाक़े में एक्टिवेट कर दिया गया है. इस कैडर को ज़िम्मेदार दी गई है कि वह ज्यादा से ज़्यादा लोगों को जी-20 के बारे में ग़लत जानकारी देने के साथ ही माहौल को खराब करने की साजिश को अंजाम दे.

सूत्रों के मुताबिक़ इसके अलावा आईएसआई ने कश्मीर में आयोजित होने वाले जी-20 की बैठक में शामिल होने वाले देशों में सोशल मीडिया पोस्ट, विरोध प्रदर्शन और अलग-अलग डिबेट के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाने के काम को तेज कर दिया है. एक तरफ़ तो वह प्रोपेगेंडा तेज कर रहा है और दूसरी और आतंकी हमलों के लिए भी नए-नए तरीक़े भी आज़माने की कोशिश में जुटा है. वे क़ाफ़िले पर बड़े आईईडी हमले को अंजाम देने के लिए वेहिक्ल बेस्ड आईईडी के अलावा सड़कों के किनारे पड़े पुराने व नए लोहे के पाइप मे आईईडी या कोई दूसरा विस्फोटक लगाकर हमले की कोशिश कर सकते हैं. लश्कर-ए-तैयबा अपने सहयोगी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के आतंकियों को ग्रेनेड फ़िदायीन हमले के लिये भी तैयार कर रहा है.

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