भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान (IMD) ने मंगलवार को चक्रवाती तूफ़ान ‘मोचा’ (Cyclone Mocha) के दक्षिणपूर्वी बंगाल की खाड़ी में 6 मई के आसपास टकराने की संभावना जताई है. आईएमडी ने यूएस मौसम पूर्वानुमान मॉडल ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) और यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF) की रिपोर्टों को का अध्ययन करते हुए ये रिपोर्ट दी है. हालांकि कई अंतराष्ट्रीय मौसम वैज्ञानिकों ने, इस चक्रवात को मई के दूसरे सप्ताह आने की संभावना जताई थी. वहीं, प्रभावित क्षेत्रों को लेकर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस चक्रवात (Cyclone) का असर पूर्वी भारत से लेकर बांग्लादेश और म्यांमार तक रहने वाला हैं.आइए हम आपको बताते हैं कि चक्रवातों का नामकरण कैसे होता है, इस नामकरण की प्रक्रिया में कौन-कौन से देश शामिल हैं और आने वाले समय में तूफानों को और किन-किन नामों से जाना जाएगा….
चक्रवात ‘मोचा’ का नाम कैसे पड़ा
दरअसल, साल के पहले चक्रवाती तूफ़ान के नामकरण में अल्फाबेटिकल आर्डर में ‘यमन’ द्वारा किया जाना था. तब, 6 मई को बंगाल की खाड़ी में आने वाले भयंकर चक्रवात (Cyclone Mocha) मोचा का नाम यमन ने अपने लाल सागर तट पर एक बंदरगाह शहर ‘मोचा’ के नाम पर इस चक्रवात के नाम का सुझाव दिया था.
चक्रवात क्या होते हैं?
‘चक्रवात’ (Cyclone) शब्द की उत्पत्ति एक ग्रीक शब्द से हुई है जिसका अर्थ है ‘सांप की कुंडली’. यह कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास वायुमंडलीय गड़बड़ी से बनता है जो आमतौर पर हिंसक तूफान और गंभीर मौसम की स्थिति के साथ होता है.
चक्रवातों का नाम कैसे पड़ता है?
चक्रवातों के नाम दो तरह से दिए जाते हैं, पहले में विश्व के चक्रवातों के नाम और दूसरे में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवातों के नाम. विश्व के चक्रवातों के नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMCs) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (TCWCs) उन चक्रवातों को नाम देते हैं जो दुनिया भर के किसी भी महासागरीय बेसिन में बनते हैं. आईएमडी भी उन्हींविश्व के 6 RSMCs शामिल है. आईएमडी उत्तरी हिंद महासागर, जिसमें बंगाल की खाड़ी और शामिल है, में उत्त्पन्न चक्रावतों को नामकरण करता है.
चक्रावतों की गति भी नामकरण के लिए महत्वपूर्ण
किसी चक्रवात (Cyclone) को विशिष्ट नाम दिया जाता है जब इसकी गति 34 समुद्री मील प्रति घंटे से अधिक हो. यदि तूफान की गति 74 मील प्रति घंटे तक पहुँच जाती है या उससे अधिक हो जाती है, तो इसे हरिकेन, साइक्लोन या टाइफून के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.