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494 राजस्व न्यायालय ई-कोर्ट में तब्दील होना राज्य सरकार की 14 वर्ष की उपलब्द्धि।

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रायपुर, सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी 704 राजस्व न्यायालयों को ई-कोर्ट में बदलने की योजना है, अब तक 494 न्यायालयों को ऑन लाइन करते हुए उन्हें ई-कोर्ट में परिवर्तित कर दिया है, इनमें कलेक्टर कोर्ट से लेकर एस.डी.ओ, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के न्यायालय भी शामिल हैं. शेष राजस्व न्यायालय भी बहुत जल्द ई-कोर्ट में परिवर्तित हो जाएंगे. यह जानकारी राजस्व, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने दी, उन्होंने बताया कि अब राजस्व न्यायालयों में मिलने वाले सभी आवेदन ऑन लाइन ई-कोर्ट में दर्ज होते हैं, आवेदक को उसकी पावती भी दी जाती है। इससे मामलों के निराकरण में तेजी आ रही है और पारदर्शिता भी बढ़ रही है, श्री पाण्डेय ने प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने राजस्व विभाग की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि विगत चार वर्ष में राजस्व प्रशासन ने पारदर्शिता लाने और प्रशासन को जनोन्मुखी बनाने उनके विभाग द्वारा कई नये और कामयाब प्रयोग (नवाचार) किए गए हैं। भू-अभिलेखों की जानकारी आम जनता तक आसानी से पहुंच सके, इसके लिए हमने भुइंयां और भू-नक्शा साफ्टवेयर का एन्ड्रायड वर्जन बनाकर एक मोबाइल एप्प भी तैयार किया है, जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड कर अपने मोबाइल फोन में इंस्टाल किया जा सकता है, राजस्व मंत्री ने बताया कि अब तक सभी तहसीलों में खोले गए लोक सेवा केन्द्रों में आवेदन प्रस्तुत करने के बाद आवेदक अपनी जमीन के अभिलेखों की कम्प्यूटीकृत नकल प्राप्त करता था, इसके लिए उसे वहां तक आना-जाना पड़ता था। लेकिन अब उसे यह सुविधा ऑनलाइन कहीं पर भी आसानी से मिल जाएगी। श्री पाण्डेय ने बताया कि अचल सम्पति के पंजीयन और लेन-देन में पारदर्शिता की दृष्टि से छत्तीसगढ़ में भू-अभिलेखों और राजस्व के अन्य अभिलेखों का तेजी से कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। अब तक लगभग तीन करोड़ 15 लाख राजस्व दस्तावेज कम्प्यूटीकृत हो चुके हैं। इनमें से प्रदेश के 19 हजार 125 गांवों के दो करोड़ 17 लाख खसरों, 58 लाख 89 हजार बी-वन और 39 हजार 145 नक्शा शीटों का डिजिटाइजेशन कर लिया गया है। उन्हें ऑनलाइन अपडेट भी किया जा रहा है। इनमें से एक करोड़ से ज्यादा दस्तावेजों पर डिजिटल हस्ताक्षर हो चुके हैं। इनमें 90 लाख 64 हजार खसरों के अभिलेख और 19 लाख 03 हजार बी-वन शामिल हैं, इस प्रकार की प्रतिलिपियों को कानूनी मान्यता प्राप्त है। आवेदन करने के साथ दिन के भीतर वांछित अभिलेख की डिजिटल हस्ताक्षर वाली ऑन लाइन प्रतिलिपि साफ्टवेयर में उपलब्ध हो जाएगी। आवेदक कहीं से भी और कभी भी डाउनलोड कर निःशुल्क प्रिंट आउट ले सकता है। पत्रकार वार्ता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए श्री पाण्डेय ने बताया कि राजधानी रायपुर में साइंस पार्क की स्थापना की गई है। छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा राज्य के युवाओं को नये अनुसंधानों के लिए प्रोत्साहित करते हुए आविष्कारों के पेटेंट कराने के लिए उन्हें सहयोग दिया जा रहा है।

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