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नौकरी से इस्तीफे के बाद नोटिस पीरियड की मजबूरी, क्या इसका पालन करना जरूरी? दे दिया रिजाइन तो जान लीजिये नियम

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प्राइवेट नौकरी स्थाई नहीं होती है क्योंकि कर्मचारी सैलरी और पोस्ट की चाह में अक्सर कंपनी बदलते हैं. ऐसे में जब भी कोई एम्पलाई किसी ऑर्गेनाइजेशन से रिजाइन करता है तो उसे मौजूदा कंपनी में नोटिस पीरियड (Notice Period) पूरा करना होता है. यह नियम सभी कंपनियों में कर्मचारियों पर लागू होता है. हालांकि, पोस्ट व कंपनी के नियमों के अनुसार, नोटिस पीरियड सर्व करने की अवधि अलग-अलग होती है.

कर्मचारियों के पास यह विकल्प भी होता है कि वह बिना नोटिस पीरियड दिए कंपनी छोड़ दें, लेकिन इसके लिए उन्हें कंपनी को आर्थिक क्षतिपूर्ति करनी होती है, जो फायदेमंद नहीं है. इसके अलावा भी कुछ अन्य विकल्प है जिनके जरिए कर्मचारी को नोटिस पीरियड से राहत मिलती है.

क्यों जरूरी है नोटिस पीरियड?
दरअसल हर कंपनी कर्मचारियों के लिए नोटिस पीरियड का नियम रखती है ताकि जब भी कोई एम्पलाई नौकरी छोड़कर जाए तो इस अवधि में उसकी जगह योग्य कर्मचारी को ढूंढा जा सके. इसलिए नोटिस पीरियड के दौरान कर्मचारी के काम करते रहने से कंपनी का काम प्रभावित नहीं होता है. वहीं,
कंपनी तय समय सीमा के अंदर नये कर्मचारी की भर्ती कर लेती है.

नोटिस पीरियड की शर्तें
हर कंपनी में ज्वाइनिंग से पहले कई तरह के डॉक्यूमेंट्स और एचआर मैन्युअल एम्पलाई के साथ शेयर की जाती है, जिसमें नौकरी से जुड़ी शर्तें, कर्मचारियों के लिए जरूरी नियम और उन्हें मिलने वाली सुविधाओ का जिक्र होता है. इन डॉक्यूमेंट्स में नोटिस पीरियड की जानकारी भी होती है. हर पोस्ट के हिसाब से नोटिस पीरियड की अवधि अलग-अलग होती है. यह 1 महीने से लेकर 3 महीने तक हो सकती है.

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