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कलम और साहित्य के माध्यम से अंतिम सुधिजन तक पहुँचने का उनका प्रयास – गिरीश मिश्र

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स्मरण और धड़कनों का स्पंदन देने वाले पिता श्री की आज तीसरी पुण्य तिथि है। जीवन अपनी लय से चलता है, समय के आगे सब नतमस्तक हैं, परंतु समाज में कुछ लोग अपनी जगह इस तरह सुनिश्चित करते हैं, कि वे आने वाली पीढ़ियों को दिशा देने के लिए हमेशा अपने कठोर परिश्रम, जीवंतता और सुकर्मों की ऐसी महक छोड़ जाते हैं, जो प्रतिपल – प्रतिक्षण आपके इर्द-गिर्द ख़ुशबू का अहसास देते रहती है। कलम और साहित्य प्रेम ने उन्हें, हर उन अंतिम सुधिजन तक पहुँचाया, जो अपनी अभिव्यक्ति, लेखनी के माध्यम से समाज तक सृजनात्मकता का भाव पहुँचाना चाहते रहे हों, इस न्यूज़ पोर्टल का उद्देश्य भी उनकी साहित्यिक अभिरूचि को जीवंत बनाये रखने के लिए हर नए लेखक को प्रोत्साहित करने का रहेगा। sangwari, और छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद् यह कार्य विगत कई वर्षों से उनके मार्गदर्शन में करते रहे हैं, साहित्य की अलख को तेजस्वी करने वाले मेरे पिता स्वर्गीय श्री बबन प्रसाद मिश्र जी को इन्हीं भावनाओं के साथ sangwari social group, छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद् और न्यूज़ हिंदुस्तान का लेखन संग सादर नमन। – गिरीश मिश्र

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