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कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने में सरकार के साथ समाज की भागीदारी भी जरूरी : डॉ. रमन सिंह

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रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज की भागीदारी पर विशेष रूप से बल दिया है। सुपोषण मिशन की शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार और समाज के मिले-जुले प्रयासों के फलस्वरूप राज्य के बच्चों में कुपोषण के स्तर में काफी कमी आयी है। राज्य निर्माण के समय छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर लगभग 70 प्रतिशत थी वर्ष 2012 में वजन त्यौहार शुरू होने के पांच वर्ष के भीतर कुपोषण का स्तर 40.05 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2016 की स्थिति में 30.13 प्रतिशत रह गया है। मुख्यमंत्री ने सभी लोगों से छत्तीसगढ़ को अगले तीन साल में कुपोषण मुक्ति की दिशा में केरल राज्य के बराबर लाने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा है कि केरल में आज की स्थिति में कुपोषण का स्तर घट कर 12 प्रतिशत रह गया है। छत्तीसगढ़ को भी इस दिशा में केरल की बराबरी करने की जरूरत है। शुभारंभ समारोह में डॉ. रमन सिंह ने मिशन से संबंधित गतिविधियों और योजनाओं की पुस्तिका का विमोचन भी किया। उन्होंने इस अवसर पर न्यूट्रीलिक ऑन लाइन पोषण सलाह केन्द्र और न्यूट्रीचेक मोबाइल एप का भी शुभारंभ किया। न्यूट्रीलिक ऑन लाइन पोषण सलाह केन्द्र की स्थापना विश्व बैंक की सहायता से इस्निप परियोजना के तहत की गई है। समारोह की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने की। संसदीय सचिव रूपकुमारी चौधरी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। मुख्य सचिव विवेक ढांड, अपर मुख्य सचिव अजय सिंह और महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव डॉ. एम. गीता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में मौजूद थे। मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ. रमन सिंह ने समारोह में सुपोषण संकल्प गीत की सी.डी का शुभारंभ किया। डॉ. सिंह ने कुपोषण को छत्तीसगढ़ के विकास के मार्ग में एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा – मुझे लगता है कि यह नक्सलवाद से भी बड़ी चुनौती है। नक्सलवाद के खिलाफ तो हमारी लड़ाई चल ही रही है और उस दिशा में हम कामयाब भी हो रहे हैं, लेकिन स्वस्थ छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए कुपोषण के खिलाफ भी हमारी लड़ाई जारी है और हम सब मिलकर इसमें जरूर विजयी होंगे। डॉ. रमन सिंह ने कहा – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन में पूरे देश को 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.) बनाने का लक्ष्य है। छत्तीसगढ़ इस लक्ष्य के बहुत नजदीक पहुंच गया है। जब हम सब अपने राज्य को खुले में शौचमुक्त बना सकते हैं तो कुपोषण से भी प्रदेश को मुक्ति दिला सकते हैं। उन्होंने कहा – बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए उनकी बेहतर देखभाल की जरूरत होती है और यह कार्य बच्चों की माताएं ही बेहतर ढंग से कर सकती है। माताएं अपने बच्चों के आहार की चिंता करती है। मुख्यमंत्री ने कुपोषण के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने में आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों की भूमिका को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई महिला ही अपने बच्चों का सही ढंग से पालन-पोषण कर सकती है। वह उसकी आहार की चिन्ता करती है। छत्तीसगढ़ में वह ताकत है कि वह असंभव को संभव कर सकता है। आज प्रदेश पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त होने जा रहा है। यह समुदाय आधारित प्रयास करने ऐसा लक्ष्य अर्जित कर सके हैं। कुपोषण के विरूध्द भी इसी प्रकार अभियान चलाने का संकल्प ले, यह आंगनबाड़ी और स्कूल के स्तर पर जागरूकता से संभव है। समारोह को महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू और मुख्य सचिव विवेक ढांड ने भी सम्बोधित किया। विभाग की सचिव डॉ. एम. गीता ने मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

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