एक आम नागरिक द्वारा घर खरीदने के लिए पैसे जुटाने का सबसे सहज तरीका होम लोन होता है. इससे आपको एकमुश्त बड़ी रकम चुकाने की चिंता नहीं रहती है. साथ ही आप मासिक आधार पर किस्तों में इसकी भरपाई कर सकते हैं जिससे आपकी जेब पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है. होम लोन की ईएमआई में मूलधन का कुछ हिस्सा और ब्याज मिला होता है जिसे आपको हर महीने बैंक को देना होता है.
अगर आपको बैंक की सुविधाएं या ब्याज दर पसंद नहीं आ रही है तो आप इस लोन को ट्रांसफर भी कर सकते हैं. इसका मतलब है कि आपका जितना बकाया रह गया है उसे उठाकर दूसरे बैंक में शिफ्ट कर देना और फिर वहां किस्तों में भुगतान करना. हालांकि, ऐसा करते वक्त आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आप अपनी बचत को और बढ़ा सकें.
ट्रांसफर प्रोसेसिंग फीस व अन्य लागतों को नजरअंदाज करना
कर्जदार को होम लोन ट्रांसफर करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि इस प्रक्रिया में प्रोसेसिंग फी समेत अन्य कितने खर्च आने वाले हैं. ब्याज दर हो सकता है कि कम हो लेकिन आपकी बचत लोन के टेन्योर, बैलेंस ट्रांसफर में लगने वाले शुल्क और अन्य छोटे-बड़े चार्जेस पर भी निर्भर करती है.
बैंक की साख की अनदेखी
अलग-अलग बैंक होम लोन के लिए विभिन्न शर्तें लगाते हैं. उनकी सेवाएं एक-दूसरे से अलग हो सकती हैं. अगर आपको कोई बैंक बेहतर सर्विस ऑफर कर रहा है तो यह इकलौता कारण नहीं होना चाहिए जिसकी वजह से आप बैंक बदलें. आपको उसकी मार्केट रेप्यूटेशन भी देखनी चाहिए. मसलन, बैंक का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है, पारदर्शिता का स्तर क्या है व लोगों की समीक्षा कैसी है आदि. किसी भी तरह का संदिग्ध व्यवहार आगे आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है.
टेन्योर के जाल में फंसना
बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनने से पहले कर्जदारों को होम लोन की अवधि पर सावधानीपूर्वक ध्यान देना चाहिए. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है. मान लीजिए कि आपकी ईएमआई कम है क्योंकि टेन्योर बढ़ा दिया गया है, ऐसे में आप अधिक ब्याज ट्रांसफर कर रहे हैं और कुल लोन अंतत: आपको महंगा पड़ेगा.