भारत में उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 12 नवंबर को तेलंगाना (Telangana) के रामागुंडम में एक बड़े उर्वरक संयंत्र का उद्घाटन करने वाले हैं. इस परियोजना की आधारशिला भी 7 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही रखी थी. 2014 बीजेपी सरकार आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआती सालों से ही देश में लंबे अरसे से बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार के लिए विशेष प्रयास किए हैं. देश भर में उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार के पीछे यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने का रहा है.
दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री ने गोरखपुर उर्वरक संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया, जिसकी आधारशिला भी उनके द्वारा 22 जुलाई, 2016 को रखी गई थी. यह संयंत्र 30 से अधिक वर्षों से बंद पड़ा हुआ था, इसे पुनर्जीवित किया गया जो 8600 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था. पिछले महीने अक्टूबर में हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के बरौनी प्लांट ने भी यूरिया का उत्पादन शुरू किया था. सरकार ने बरौनी के एचयूआरएल संयंत्र को 8,300 करोड़ की लागत से दोबारा शुरू करवाया.
एचयूआरएल की सिंदरी उर्वरक परियोजना जल्द शुरू होगी
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 मई, 2018 को एचयूआरएल की सिंदरी उर्वरक परियोजना के पुनरुद्धार के लिए आधारशिला रखी थी. इसके भी शीघ्र ही चालू होने की उम्मीद है. इसी तरह, उन्होंने 22 सितंबर, 2018 को तालचर उर्वरक परियोजना के पुनरुद्धार के लिए आधारशिला भी रखी थी. यह संयंत्र कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी पर आधारित है और 2024 में चालू होने की उम्मीद है. रामागुंडम, गोरखपुर में इन सभी यूरिया संयंत्रों के संचालन के बाद, सिंदरी, बरौनी और तालचर, वे यूरिया के 63.5 एलएमटी प्रति वर्ष जोड़ देंगे जिससे यूरिया के आयात में कमी आएगी.
यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का लक्ष्य
वे यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लक्ष्य के करीब जाने में महत्वपूर्ण मदद करेंगे. 2014 में पदभार संभालने के बाद से पीएम मोदी ने हमेशा स्वदेशी उर्वरक उत्पादन बढ़ाने और किसानों को उर्वरक की समय पर आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया है. सरकार ने स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करने के उद्देश्य से मौजूदा 25 गैस आधारित यूरिया इकाइयों के लिए नई यूरिया नीति, 2015 अधिसूचित की, यूरिया उत्पादन में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा दिया और सरकार पर सब्सिडी के बोझ को युक्तिसंगत बनाया.