उत्तर कोरिया के बढ़ते बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट और दक्षिण कोरिया में अमेरिकी के नेतृत्व वाले सैन्य अभ्यास को लेकर यूएन में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की शुक्रवार को चीन और रूस के साथ भिड़ंत हो गई. इसके कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दो खेमों में बंट गई और उत्तर कोरिया पर कोई भी कार्रवाई होने से रुक गई. यूएन सिक्योरिटी कौंसिल में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि उत्तर कोरिया ने इस साल 59 बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च किए हैं. जिसमें केवल 27 अक्टूबर से 13 मिसाइल लॉन्च हुए हैं. इनमें से एक तो दक्षिण कोरिया के तट से लगभग 50 किलोमीटर (30 मील) दूर गिरा.
उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया की अपनी सैन्य क्षमताओं में लगातार बढ़ोतरी करने से उसके पड़ोसियों में तनाव और भय पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 13 ने इस साल की शुरुआत से उत्तर कोरिया के कार्यों की निंदा की है. लेकिन उत्तर कोरिया को रूस और चीन संरक्षण दे रहे हैं. जो उसके द्वारा यूएन के प्रतिबंधों का बार-बार उल्लंघन को सही ठहराने के लिए लगातार उत्तर कोरिया का समर्थन कर रहे हैं. इसके कारण उत्तर कोरिया इतना सक्षम हो गया है कि वह इस परिषद का मजाक उड़ा रहा है.
इसके बाद चीन के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत झांग जून ने कहा कि उत्तर कोरिया का मिसाइल लॉन्च सीधे पांच साल के बाद बड़े पैमाने पर यूएस-दक्षिण कोरियाई सैन्य अभ्यास कारण शुरू हुआ है, जिसमें सैकड़ों युद्धक विमान शामिल हैं. उन्होंने यू.एस. रक्षा विभाग की 2022 की परमाणु मुद्रा समीक्षा की ओर भी इशारा किया. जिसमें कहा गया कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों को बनाने की इच्छा रखता है और वहां के मौजूदा शासन को समाप्त करना उसकी रणनीति के मुख्य लक्ष्यों में से एक है. उनके साथ सुर में सुर मिलाते हुए रूस की संयुक्त राष्ट्र में उप राजदूत अन्ना एविस्तिग्नेवा ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में वाशिंगटन अपनी इच्छा से प्रतिबंधों, दबाव और बल का उपयोग करके एकतरफा निरस्त्रीकरण के लिए उत्तर कोरिया को मजबूर करना चाहता है. अमेरिका की ये इच्छा ही कोरियाई प्रायद्वीप की बिगड़ती स्थिति के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है.