भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में रेल एक लाइफलाइन के समान है। आज भारतीय रेल ट्रैक लगभग 115,000 किलोमीटर लंबा है और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है। भारत में हर दिन 2.5 करोड़ रेल से यात्रा करते हैं और देश में कुल मिलाकर 7,500 स्टेशन हैं। भारतीय रेल की महत्ता समय के साथ बदलती रही है और आज भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में रेलवे अपना अहम योगदान दे रहा है। लेकिन इस अहम घटक की बीते दशकों में अनदेखी की गई। विपक्षी सरकारो के कार्यकाल में हर साल रेल बजट में नई ट्रेनों की शुरूआत सबसे बडा कार्यक्रम होता था। इसमें से भी बजट की कमी और अन्य समस्याओं के कारण ये नई ट्रेने परवान नहीं चढ़ पाती थी।
मोदी सरकार ने रेलवे की भूमिका को पहचान कर भविष्य की कार्ययोजना पर काम शुरू किया
पीएम मोदी ने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल संभालने के बाद से ही रेलवे में विभिन्न सुधार कर इसे समय के साथ चलने में सक्षम बनाकर भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले कारक के रुप में लिया है। मोदी सरकार ने एक ओर जहां रेलवे में आम यात्रियो की सुविधा के लिए कई कदम उठाए वहीं रेलवे को समय के साथ चलने और भविष्य के तैयार करने की काम को अंजाम देना शुरू किया।
पीएम मोदी ने हाल ही में गुजरात में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुआ कहा कि – जब डबल इंजन की सरकार काम करती है, तो उसका असर सिर्फ डबल नहीं होता, बल्कि कई गुना ज्यादा होता है। यहां एक और एक मिलकर 2 नहीं बल्कि 1 के बगल में 1, 11 की शक्ति धारण कर लेते हैं। गुजरात में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी इसका एक उदाहरण है। मैं वो दिन कभी भूल नहीं सकता, जब 2014 से पहले गुजरात में नए रेल रूटों के लिए मुझे केंद्र सरकार के पास बार-बार जाना पड़ता था। लेकिन तब बाकी क्षेत्रों की तरह ही रेलवे के संबंध में भी गुजरात के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाता था। डबल इंजन की सरकार बने रहने से गुजरात में काम की रफ्तार तो तेज हुई ही, उसका विस्तार करने की ताकत भी तेज हुई है। 2009 से 2014 के बीच सवा सौ किलोमीटर से भी कम रेलवे लाइन का दोहरीकरण हुआ था, 2009-2014 सवा सौ किलोमीटर से कम। जबकि 2014 से 2022 के बीच साढ़े पांच सौ से ज्यादा किलोमीटर रेलवे लाइन का doubling दोहरीकरण, ये गुजरात में हुआ है। इसी तरह, गुजरात में 2009 से 2014 के बीच करीब 60 किलोमीटर ट्रैक का ही बिजलीकरण हुआ था। जबकि 2014 से 2022 के बीच 1700 किलोमीटर से अधिक ट्रैक का बिजलीकरण किया जा चुका है। यानी डबल इंजन की सरकार ने पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा काम करके दिखाया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पश्चिम रेलवे के विकास को नया आयाम देने के लिए 12 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल की योजना भी बनाई गई है। उन्होंने कहा, ‘वडोदरा सर्कल में पहला गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल शुरू हो चुका है। जल्द ही बाकी टर्मिनल भी अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हो जाएंगे।’
किसान रेल सेवा किसानो के लिए चमत्कार बनी
मोदी सरकार ने किसानो की आय बढ़ाने और उनके उनके उत्पादों को तेजी से रेलवे की मदद से देश के कोने-कोने तक पंहुचाने के लिए किसान रेल सेवा की शुरूआत की थी। पहली किसान रेल सेवा 07 अगस्त 2020 को देवलाली (महाराष्ट्र) और दानापुर (बिहार) के बीच शुरू हुई थी। भारतीय रेलवे अब 18 रूटों पर किसान रेल सेवाएं चला रहा है। 22 जनवरी 2021 तक 157 किसान रेल सेवाएं संचालित की जा चुकी हैं, जो 49000 टन से अधिक माल की ढुलाई कर रही हैं।
किसान रेल से फल एवं सब्ज़ियों की ढुलाई करने पर 50 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है । इन किसान रेल गाड़ियों को निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार संचालित किया जाता है, और रास्ते में आने वाली किसी बाधा या देरी से बचाने के लिए इनकी समय की पाबंदी के पैमाने पर कड़ी निगरानी की जाती है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ने बदला मालभाड़ा का परिदृश्य
भारत जैसी तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में औद्योगिक उत्पादों और अन्य सामान को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना एक बड़ी चुनौती रही है। सालों तक माल गाडिया ब़ड़ी मुश्किलों का सामना करती रही थी। इसमें यात्री गाडियो के साथ तालमेल बैठाते हुए सामान समय पर पहुंचाने की चुनौती का सामना करना भी सम्मिलित था। मोदी सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की योजना बनाई। इसके अंतर्गत भारतीय रेलवे ने देश में मालगाड़ियों के लिए दो कॉरिडोर का निर्माण किया है। 84 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले ईस्टर्न और वेस्टर्न दोनों कॉरिडोर की लंबाई 2843 किमी है। वेस्टर्न कोरिडोर हरियाणा से महाराष्ट्र (अटेली से जवाहर लाल नेहरू पोर्ट, जेएनपीटी) और ईस्टर्न कोरिडोर खुर्जा से पिखानी (उत्तर प्रदेश) तक बनाया जा रहा है। इन कॉरिडोर को बनाने का उद्देश्य बंदरगाहों से माल को समय से पहुंचना है। इस ट्रैक पर मालगाड़ियां 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। अभी 35 से 40 किमी. स्पीड से दौड़ती हैं। इन दोनों कॉरिडोर को कनेक्ट करने का काम पूरा होने के बाद करीब 1600 मालगाड़ियां इन पर शिफ्ट हो जाएंगी। कॉरिडोर पर दौड़ने वाली मालगाड़ियां की स्पीड 100 किमी. प्रति घंटे हो जाएगी। मौजूदा ट्रैक खाली होने से सवारी गाड़ियां की स्पीड भी बढ़ेगी, जिससे ट्रेनों की टाइमिंग में भी सुधार होगा।