Home कृषि जगत फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता।

फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता।

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रायपुर, राज्य शासन ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इस संबंध में संभागायुक्तों, संचालक कृषि, जिला कलेक्टरों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, संभागीय संयुक्त संचालकों और उप संचालकों (कृषि) को परिपत्र जारी कर दिया गया है। परिपत्र के अनुसार योजना का लाभ सभी वर्ग (लघु, सीमांत, दीर्घ) के किसान ले सकते हैं। बटाईदार या पट्टा अथवा लीज की स्थिति में जो किसान वर्तमान में जिस जमीन पर खेती कर रहे हैं, उसके लिए आर्थिक सहायता के पात्र होंगे। योजना के अंतर्गत एक एकड़ के लिए एक हजार रूपए की आर्थिक सहायता मिलेगी। इस राशि में राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप परिवर्तन भी किया जाएगा। परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में विभिन्न फसलों के कचरों (अपशिष्टों) को जलाने से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पड़ रहे विपरीत प्रभावों को देखते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण केन्द्रीय जोनल बैंच भोपाल द्वारा पारित आदेश तथा केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय की फसल अवशेष प्रबंधन की राष्ट्रीय नीति 2014 के अनुसार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। परिपत्र में कहा गया है कि फसल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किसानों को वित्तीय सहायता योजना पूरे प्रदेश में लागू होगी। किसानों द्वारा फसलों के ठूंठ को जलाने के स्थान पर खेतों में फैलाकर विघटकों के माध्यम से अपघटित कर वैकल्पिक प्रबंधन करने के उद्देश्य से यह सहायता दी जाएगी। यह योजना वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से जारी फसल अवशेष अपघटन के लिए लागत आंकलन के आधार पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना द्वारा घटकवार आर्थिक सहायता दी जाएगी। प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों जहां के किसानों द्वारा फसल अवशेषों को जलाने की अधिक घटनाएं प्रकाश में आयी हैं, वहां के किसानों को विशेष रूप से प्राथमिकता देते हुए योजना का लाभ दिया जाएगा। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पंजीकृत खसरे की जियोटेगिंग उपयुक्त मोबाइल एप्प या जियो टैग्ड फोटोग्राफ आदि के माध्यम से किए जाने तथा देयक के सत्यापन उपरान्त ही किसानों को आर्थिक सहायता दी जाना अनिवार्य होगा। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि फसल के अवशेषों को मुख्य रूप से 01 नवंबर से 15 दिसंबर तथा जनवरी और मई-जून माह में जलाने की घटनाएं सामने आती हैं। फसल अवशेषों को वैकल्पिक प्रबंधन के रूप में भूमि में अपघटित करने के लिए आर्थिक सहायता देने ग्राम पंचायतों की अनुशंसा के साथ प्रथम आएं प्रथम पाएं के आधार पर किसानों का चयन किया जाएगा। चयनित किसानों (प्रतीक्षा सूची सहित) की सूची पर ग्राम सभा से अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। आर्थिक सहायता के लिए लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। आर्थिक सहायता देने उप संचालक कृषि को निर्धारित प्रपत्र में आवेदन देना होगा। योजना के अंतर्गत प्रत्येक किसानों को अधिकतम पांच एकड़ तक के लिए आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है। फसल अवशेष जलाने की संभावित अवधि के पन्द्रह दिन पूर्व ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित किसानों का पंजीयन कृषि विभाग के विकासखण्ड और जिला कार्यालय द्वारा किया जाएगा।

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